राममंदिर निर्माण के लिए भाजपा ने 5 अगस्त का दिन ही क्यों चुना ?

BY-SAEED ALAM KHAN

केंद्र में भाजपा जब 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत कर अपनी सरकार बनाया था उसी समय से यदि देखा जाये तो सम्प्रदाय विशेष को न केवल लक्षित करने का कार्य कर रही है बल्कि उसकी नीतियों और कार्यशैली ने देश में बहुजन वर्ग में संशय पैदा किया है.

यह समाज में उन मुलभुत बदलावों का सूचक है जिसके विषय में कम लोगों ने सोचा था. आज भाजपा अपने द्वारा पारित विधेयकों जैसे-अनुच्छेद 370 का समापन, अयोध्या में राममंदिर का निर्माण, सीएए कानून को लाना आदि.

भाजपा ने सत्ता में आने से पूर्व ही कहा था कि वह कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करेगी और यह कार्य उसने अगस्त माह में किया और पुनः राम मंदिर की नींव भी अगस्त के महीने में रख रही है यानि अगस्त का महीना आजादी के दिनों से लेकर आज की तारीख तक परिवर्तनों का सूचक रहा है.

Ram Mandir bhumi poojan | BJP leader believes Lord Ram will slay ...

अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई में हमने भारत छोड़ो आंदोलन अगस्त के महीने में शुरू किया था और अभी हम कोरोना महामारी के विरुद्ध लड़ रहे हैं जो विश्व युद्ध के रूप में अपनी पहचान बना रखा है.

यही वजह है कि राममंदिर निर्माण के लिए भाजपा ने जो तारीख चुनी है उसके अंतर्गत मंदिर के लिए भूमिपूजन करके हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण करने में सफल हो सके.

केंद्र सरकार का कार्यकाल 2024 में पूरा होगा जिसे देखते हुए रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भी इस निर्धारित समय में मंदिर बना लेगा, तो मंदिर निर्माण के लिए तय सीमा आने वाले अगले लोकसभा चुनाव में संजीवनीबूटी सिद्ध होगी.

वर्तमान में कोरोना संक्रमण के कारण लाखों लोग भले अयोध्या जाकर भूमिपूजन में हिस्सेदारी न निभा सकें किन्तु करोड़ों लोग अपने घरों में बैठकर इस पूजा को अपने टीवी चैनलों के माध्यम से देख जरूर सकेंगे.

राममंदिर के संबंध में बड़ी बात यह है कि लोगों के द्वारा स्वेक्षा से चन्दा दिया जा रहा है और जनसमुदाय तेजी के साथ जुड़ता जा रहा है. आश्चर्य का विषय यह है कि देश की आर्थिक हालत ख़राब हो चुकी है बड़ी संख्या में युवा बेरोजगार हैं,

सरकारी संस्थाओं का धड़ल्ले से निजीकरण किया जा रहा है, जो लोग नौकरियों में थे उनकी छटनी की जा रही है, अपराध का ग्राफ चरम पर पहुँच गया है, लूट, हत्या, छिनैति उफान पर है, बेटियों के साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ चुकी हैं,

महंगाई भ्रष्टाचार पूछना ही नहीं है किन्तु कोई भी बड़ा जनांदोलन न तो इन चुनौतियों के विरुद्ध खड़ा हो रहा है और न ही अपने जनप्रतिनिधियों से इसकी जवाबदेही मांग रहा है.

अभी देश किस दिशा में जा रहा है यह तो आने वाला समय ही बताएगा हम सिर्फ उसका अनुमान लगा सकते हैं….

 

 

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