(सईद आलम खान की कलम से)
आज हम 21वीं सदी में रह रहे हैं किंतु अगर देखा जाए तो भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर लैंगिक भेदभाव, गरीबी, बेरोजगारी, महिला घरेलू हिंसा इत्यादि चुनौतियां मुंह बाये खड़ी हैं.
भारत के परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो का आंकड़ा देखा जाए तो वर्ष 2020 में लॉकडाउन के दरमियान महिलाओं तथा बच्चों के विरुद्ध पारंपरिक अपराधों में कमी आई थी
किंतु अपराधिक मामलों में 28% की वृद्धि देखने को मिली थी. हम आज टेक्निकली बढ़ रहे हैं, शिक्षा के क्षेत्र में कई तबदिलियां देखने को मिल रही हैं.
25 नवंबर, 1960 में पैट्रिया मर्सिडीज, मारी अर्जेंटीना तथा एंटोनियो मारिया टेरेसा द्वारा डोमिनिक शासक की तानाशाही का विरोध किया गया था.
25 नवंबर 1981 को #अंतर्राष्ट्रीय_महिला_हिंसा_उन्मूलन_दिवस मनाने की शुरुआत हुई।
हर साल 25 नवंबर को #अंतर्राष्ट्रीय_मांसहीन_दिवस मनाया जाता है।#ThisDayInHistory #OnThisDay
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— SansadTV (@sansad_tv) November 25, 2022
इनके इस विरोध से शासक ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए इन तीनों ही बहनों को बेरहमी से मार डाला. लेटिन अमेरिका और कैरेबियाई नारीवादी विचारधारा के पोषक
एनकेनटरोस के कार्यकर्ताओं ने इस घटना से सीख लेते हुए यह निर्णय लिया कि इन तीनों ही बहनों की पुण्यतिथि के रूप में 25 नवंबर को मनाते हुए महिला हिंसा के विरुद्ध हुए अपराध को रोका जाएगा.
इसी क्रम में 17 दिसंबर, 1999 में संयुक्त राष्ट्र ने आधिकारिक रूप से इस प्रस्ताव को अपना लिया जिसे हम ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला हिंसा उन्मूलन दिवस’ के रूप में मना रहे हैं.
जाहिर सी बात है दुनिया की आधी आबादी को इस संसार में गरिमा पूर्ण जीवन जीने का अधिकार है जिसे किसी भी कीमत पर समझौता नहीं बल्कि सामंजस्य के धरातल पर इनको यह अधिकार मिलना चाहिए.
महिलाओं की बुनियादी मानवाधिकारों तथा लैंगिक समानता के विषय में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करना, इस दिवस का प्राथमिक उद्देश्य है.
इस बार की थीम ‘यूनाइट’ रखी गई है जिसका अर्थ होता है महिलाओं और लड़कियों के विरुद्ध हिंसा को समाप्त करने के लिए एकजुटता तथा सक्रियता दिखाना.
संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक वेबसाइट से यह खबर मिली है कि 25 नवंबर से लेकर आगामी 10 दिसंबर यह दिवस पूरी सक्रियता के साथ मनाया जाएगा
तथा अधिक से अधिक कार्यक्रमों के जरिए लोगों के बीच इस थीम का प्रचार किया जाएगा कि इस दिवस के महत्व को समझें तथा सभी प्रकार के लैंगिक हिंसा से बचें, मानवता की सार्थकता भी इसी में निहित है.