अमेरिका में एक अश्वेत का मर्डर क्या नस्लवादिता का जिन्दा होना है?

BY-SAEED ALAM KHAN

अमेरिका में आजकल 24 शहरों में कर्फ्यू लगा है, राष्ट्रपति ट्रम्प बंकर में जा चुके हैं और सेना बुलाने की धमकी दी है. आखिर इस शक्तिशाली देश का कोरोना कॉल में इतने बड़े हाहाकार की कहानी क्या है? आइये जानते हैं अमेरिका में हो रहे उग्र प्रदर्शन की कहानी…..

46 वर्षीया जॉर्ज फ्लॉयड ब्लैक अफ्रीकन अमेरिकन समुदाय से हैं. इसी ब्लैक अफ्रीकन-अमेरिकन समुदाय ने अपने श्रम उत्पादन मेहनत से अमेरिका को बसाया, विकसित अमेरिका बनाया.

जॉर्ज छह और 22 वर्षीया दो बेटियों के पिता हैं. परिवार की पूरी जिम्मेदारी बखूबी संभालते थे. मिन्नेसोटा राज्य के मिन्नेपोलिस शहर के रेस्टोरेंट में सुरक्षा गार्ड की नौकरी करते थे.

रेस्टोरेंट मालिक के अनुसार जॉर्ज बेहद मेहनती थे अपने काम को पूरी इमानदारी से करते थे. 25 मई जॉर्ज के लिए मनहूस दिन था. किसी अज्ञात व्यक्ति ने पुलिस को फ़ोन कर

शिकायत किया कि उसे किसी व्यक्ति पर शक है. वह 20 डॉलर के जाली नोट से भोजन खरीद रहा है. पुलिस टीम पांच मिनिट के भीतर बताए स्थान पर पहुंच गई.

पुलिस ऑफिसर डेरेक चौविन की नजर जॉर्ज पर पड़ी जो भोजन खरीद कर खा रहे थे. फ़ूड स्टोर पर अन्य लोग भी भोजन खा रहे थे लेकिन शक़ के आधार पर सिर्फ जॉर्ज को हाथ ऊपर करने को कहा गया, जॉर्ज कुछ समझ नही पाए, उन्होंने सवाल किया.

तीन पुलिस अफसरों ने जॉर्ज को ज़मीन पर पटक दिया और डेरेक चौविन ने अपना बायां पैर जॉर्ज की गर्दन पर रख दिया. कुल 8 मिनिट तक डेरेक चौविन ने जॉर्ज की गर्दन पर पैर रखा रहा. जॉर्ज चिल्लाते रहे मुझे छोड़ दो,

I can’t breath… मैं सांस नही ले पा रहा हूँ, मैं सांस नही ले पा रहा हूँ… जॉर्ज तड़पते रहे लेकिन नस्लभेद का पैर उनकी मौत के बाद गर्दन से उठा.

Man Says Cop Who Killed George Floyd 'Tried to Kill Me' in 2008 ...

जॉर्ज फ्लॉयड की मौत के बाद पूरे अमेरिका में प्रदर्शन हो रहे हैं. गोरा काला हर चमड़ी का रंग विरोध प्रदर्शन में नजर आ रहा है. हर अमेरिकन सवाल कर रहा है क्या नस्लभेद का पैर किसी व्यक्ति की मौत तय करेगा.?

अमेरिका ने साबित कर दिया कोरोना से ज्यादा खतरनाक नस्लवाद है, और नस्लीय हिंसा और असमानता की मानसिकता को बर्दाश्त नही करेंगे.

लेकिन यदि इस प्रसंग को भारत के परिप्रेक्ष्य में देखा जाये तो देवताओं की भूमि भारत में हर रोज जॉर्ज फ्लॉयड जैसे लोगों को जाति के नाम पर मार दिए जाता है.

कभी पुरे भारतीय समाज ने एक होकर जातिभेद हिंसा असमानता के खिलाफ कभी प्रदर्शन नही किया, भारत में भी जॉर्ज फ्लॉयड को घोड़ी पर चढ़ने पर,

उच्च शिक्षा हासिल करने पर, गौ रक्षा के नाम पर, मीट खाने पर, जाति छिपाने पर या जाति छिपाकर किराए का मकान लेने पर या उच्च वर्ण जाति की लड़की से लव या शादी करने पर,

डॉ आंबेडकर का नाम विशेष स्थान पर लेने पर या बुद्ध कथा किसी विशेष गांव या स्थान पर सुनाने पर या जय श्रीराम नाम न लेने पर मार डाला जाता है या मरने तक प्रताड़ित किया जाता है.

मरने से पहले हर पीड़ित जॉर्ज फ्लॉयड की तरह चिल्लाता है तड़पता है कहता है I can’t breath.. मैं सांस नही ले पा रहा हूँ, मुझे मत मारो मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है !

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