मूलनिवासी बहुजन समाज की सबसे बड़ी ताकत हैं वामन मेश्राम साहब…

हमारे मूलनिवासी बहुजन समाज के लोगों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि हमारे लोग वक्त की अहमियत ठीक से नहीं समझते हैं. गुजरा हुआ वक्त वापस नही आता, आनेवाला वक्त हमें समझ में नही आता, इसलिए हमें भूत और भविष्य की चिंता छोड़ सिर्फ वर्तमान के वक्त पर ही ध्यान देना होगा.

बिता हुआ वक्त किस तरह का होता है ? इस संदर्भ में एक शायर ने बहुत ही अच्छी पंक्ति लिखी है, वह लिखते है कि- ‘गुजरा हुआ वक्त किसी बरसाती नदी की तरह मनोरम होता है

जिसमें कुछ समय के लिए बहता है जल, फिर ठहर जाता है/खिलती है कमलिनी/जलकुँभी और शैवाल..फिर जब बढ़ता है, जल का प्रवाह..सब धीरे-धीरे बह जाता है.’

वर्तमान में एक सबसे बड़ी शख्सियत मौजूद है, जिन्हें समय पर पहचानना जरूरी बन गया है. जी हां, मै बात कर रहा हूं  वामन मेश्राम साहब की.. हमारे मूलनिवासी-बहुजन महापुरूषों को जो आंदोलन अभिप्रेत था, वही आंदोलन आज बामसेफ और बामसेफ के तमाम आफशुट विंग के माध्यम से मा. वामन मेश्राम साहब की नेतृत्व में चल रहा है.

कहा जाता है कि समय बड़ा बलवान होता है/समय बड़ा पहलवान होता है, लेकिन मेरा ऐसा कहना है कि आज के समय में मा. वामन मेश्राम साहब ही सबसे बड़े बलवान नेता/ नेतृत्व हैं. संघ और बीजेपी सरकार द्वारा बौद्ध स्तूपों को नष्ट करने का जो अभियान चलाया जा रहा है, उसे रोकने की काबिलियत सिर्फ बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क में है.

बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क यह बामसेफ का ही एक आफशुट विंग है, आपकी जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क के राष्ट्रीय प्रभारी मा. विलास खरात साहब ने सम्राट अशोक द्वारा निर्मित सभी 84,000 बौद्ध स्तूपों की जानकारी इकठ्ठा कर ली है. यह अब तक की सबसे बड़ी खोज है, ऐसा मै मानता हूं.

हमारे बहुजन समाज के लोगों ने जाति/धर्म/राजनैतिक पार्टी तथा संगठन को प्राथमिकता देने के बजाय हमारी यह पुरखों की विरासत बचाने को प्राथमिकता देनी होगी और मा. वामन मेश्राम साहब की ताकत दुगनी करनी होगी तभी हम इस बौद्ध विरासत को बचा सकते हैं.

मा. वामन मेश्राम साहब कहते हैं कि- “तुम्हारा अन्याय और हमारी सहनशीलता जिस समय परिसीमा हो जायेगी उस समय बडा विद्रोह होगा.’ देखा जाये तो संघ + बीजेपी सरकार ने अन्याय, अत्याचार करने की सारी हदें ही पार कर दी हैं. हर रोज हमारे मूलनिवासी के लोगों के उपर अन्याय, अत्याचार हो रहे है, उनकी हत्यायें हो रही हैं.

आज विद्यार्थी और किसानों का जीना मुश्किल हो गया है. कोरोना की आड़ में गरीब, मजलूम लोगों को लुटा जा रहा है. इसे रोकना है तो आप सभी को वामन मेश्राम साहब का साथ देना होगा, फिर देखना जल्दी ही इस देश में विद्रोह की स्थिति निर्मित होगी और हम इस देश में क्रांति कर सकते है”.
CHAND MOHAMMAD

(DISCLAIMER: ये लेखक के निजी विचार हैं)

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