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भारत में लोकतंत्र लागू् होने के 70 बर्ष बाद भी यहां लोकतंत्र लागू नहीं हो सका है ये लोकतंत्र क्या है? जनता का, जनता के लिए, जनता के द्वारा शासन व्यवस्था

सरल भाषा में लोकतंत्र का मतलब है, सभी को संख्या के आधार पर सभी क्षेत्रों में हिस्सेदारी मिलना चाहिये जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी

अब देखते हैं कि देश में आजादी के 73 वर्षों में किसको क्या मिला और कौन कितनी संख्या में हैं ?
भारत की जनता में सामान्य- 10%, एससी-15%, एसटी-7.5%, ओबीसी-67.5%

भारत की जनता में सबसे अधिक संख्या ओबीसी की है. भारत की केंद्र की और सभी राज्य की सरकारे लगभग 30% से 40% वोटों के बीच बनती है, वहीं ओबीसी की संख्या लगभग 67.5% है. मतलब सरकार बनाने के लिए जितनी संख्या चाहिये उससे दोगुनी से भी ज्यादा संख्या ओबीसी की है.

भारत में लोकतंत्र की स्थापना के 73 वर्ष बाद भी यहां लोकतंत्र स्थापित नहीं हो पाया है. अभी तक यहां 10% सामान्य जाती वालो की सरकार चल रही है. ओबीसी और किसान समाज को मूर्ख बनाकर शोषित किया जा रहा है.

सरकारी नौकरी में विभिन्न समाजों की हिस्सेदारी संख्या के आधार पर होना था मतलब ओबीसी को सभी क्षेत्रों में 67% हिस्सेदारी होनी थी जबकि स्थिति देखें कितनी दयनीय है.
(1) SC-15%-12 %
(2) ST-7.5%-05 %
(3) OBC-67.5%-04 %
(4) GEN-10%-79 %

साथ ही ओबीसी के आरणक्ष में असंवैधानिक रूप से क्रीमीलेयर का गिफ्ट भी दिया है जो संवैधानिक रूप से गलत है, जबकि एससी को 15% होना था, एसटी को 7.5%, ओबीसी को 67% और सामान्य को 10% होना था. तब लोकतंत्र लागू होता.

ओबीसी समाज का नौकरी के अलावा दूसरे क्षेत्रों में हिस्सेदारी (आरक्षण) की स्थिति देखे जबकि सभी जगह 67% होना था-विधानसभा-0%- होना था 67%, लोकसभा-0%- होना था 67%, न्यायपालिका-0%- होना था 67%

सेना-0%-होना था 67%, मीडिया – 0% – होना था 67%, उद्योग-0%-होना था 67%, निजी क्षेत्र-0%-होना था 67%
👉 ओबीसी समाज अपने साथ होने वाले अन्याय से कब तक बेखबर रहेगा ?
👉 67% ओबीसी को केंद्र में 67% आरक्षण (हिस्सेदारी) के स्थान पर 40 वर्ष बाद केवल 27% दिया और उसमें भी असंवैधानिक क्रीमीलेयर लगा दिया और अभी तक केवल 4% ही भर्ती हो सकी है, 63% जनरल खा रहे हैं

👉 मध्यप्रदेश के 54% ओबीसी के लिए 40 वर्ष बाद क्रीमीलेयर के साथ केवल 14% आरक्षण मिला, भर्ती केवल 4% हुआ, बैकलाग 10% खाली है जबकि होना था 54%, बाकी 50% जनरल वाले खा रहे हैं. आखिर ओबीसी अपने साथ होने वाले अन्याय को कब तक रहते रहेंगे ?

ओबीसी की बर्बादी का प्रमुख कारण क्या है?
👉 देश में ओबीसी समाज का कोई मजबूत संगठन नहीं था, आज भारतवासी पार्टी है
👉 ओबीसी समाज को दुश्मनों ने 3743 तुकड़ो में बांट के रखा है
किसी को लोधी में, किसी को कुर्मी में, किसी को यादव में, किसी को कुशवाहा में, किसी को तेली, कुन्वी, कलार, गुर्जर

गडरिया, मीना, मंडलोई, लोहार, प्रजापति, नाई, तमोली, माली, किरार, सुनार, पाटीदार, मेवाडा, दर्जी, खाती, चौरसिया, कहार, पवार, विसनोई आदि.

ओबीसी को 3743 जातियों में बाट दिया है, यही हमारी बर्बादी का कराण है.

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