Chhatisgarh: मौजूदा सरकार का दावा है कि जल्द ही देश तीन अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाला दुनिया का तीसरे नंबर का देश हो जाएगा. इस दावे को पुख्ता करने के लिए वह बेरोज़गारी कम हो जाने,
गरीबी दर भी बहुत नीचे आ जाने के नए-नए दावे आए दिन कर रही है-वह भी बिना ताज़ा जनगणना के, असंगठित क्षेत्र के रोज़गार और उसमें कामगारों के राष्ट्रीय आंकड़ों के.
फिर भी इन दावों को सही मान लिया जाए तो भी क्या वास्तव में हमारा देश आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर हो जाएगा? क्या हमारी बेरोज़गारी बस एक या दो प्रतिशत ही रह जाएगी?
प्रति व्यक्ति आय सरकार के हिसाब से 2.14 लाख हो भी जाए तो क्या! क्या दूर-दराज, सड़क, बिजली, पानी से वंचित गांव के वासी की सालाना आय भी इतनी हो पाएगी
या फिर वह जंगलो की अवैध कटाई और खानों के अवैध उत्खननकारी ठेकेदारों के अवैध कामों पर ही अपनी रोज़ की जिल्लत भरी गुजर-बसर करते हुए, धंधे से मिली किसी न किसी बीमारी से अपना दम तोड़ता रहेगा?
इस सवाल को इस तरह से भी पूछा जा सकता है कि क्या हम दूसरी आज़ादी हासिल कर पाएंगे? दूसरी आज़ादी माने, आर्थिक आज़ादी. अंग्रेजों से संघर्ष करते हुए गांधी जी हमेशा कहा करते थे आर्थिक आज़ादी के बिना राजनीतिक आज़ादी अधूरी है.
आर्थिक आज़ादी के बिना राजनीतिक आज़ादी टिक नहीं पाती. बांग्लादेश में पांच अगस्त को हुआ हिंसक सत्ता परिवर्तन इसका ताज़ा सबूत है.
भारत का लोकतंत्र अभी तक मजबूत रहा है तो इसलिए कि हमारे असंगठित क्षेत्र को सरकार के बही-खातों में भले ही जगह न दी गई हो और आज तक नहीं दी जा रही, पर देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी वही रहा है.
अंग्रेजों ने अपनी राजनीतिक सत्ता इसी हड्डी पर चोट करके मजबूत की थी. उसने कपड़ा मिलों के जरिये हमारे घरेलू उद्योगों को चोट पहुचाईं.
हमारे यहां के परंपरागत बुनकर क्षेत्र को खत्म कर अपने मिलों के सस्ते कपड़े के जरिये बाजार पर कब्जा करना चाहता था. पर गांधी उसकी चाल को समझ गए और चरखे के जरिये जो घर-घर में खादी का उत्पादन शुरू हुआ, लोगों ने बता दिया कि अंग्रेज हमें बाजार से क्या बाहर करेंगे.?
हमने तो अपना ही अलग बाजार बना लिया है, जिस तक उसकी कोई पहुंच नहीं है. सचमुच, आज उसी का नतीजा है कि हमारे पास खादी भी है और बनारस, कर्नाटक,
बंगाल, बिहार और बाकी सभी प्रदेशों के बुनकर का कपड़ा भी. हमारा परंपरगत हस्तशिल्प आज भी जिंदा है. सीमित मात्रा में ही सही पर रोज़गार भी दे रहा है.
To Be Continued…