BY- THE FIRE TEAM
अगर सफलता पानी हो तो कभी हालातों को दोष नहीं दिया जाना चाहिए, मंजिल दूर सही लेकिन मेहनत करो तो मिलती जरूर है।
आज हम आपको बताएंगे कि कैसे एक शादीशुदा महिला ने एक 4 साल की बेटी होते हुए भी इस बार यूपीपीएस-जे की परीक्षा पास की और अपने सपने को साकार किया।
हम एक ऐसे समाज का हिस्सा हैं जहां लड़की की ज़िंदगी से जुड़े फैसले घर के पुरुष लेते हैं और वहीं शादी के बाद तो अक्सर ही देखा जाता है कि लड़की की ज़िंदगी पे सिर्फ पति का हक होता है।
आजकल लड़कियां हर जगह लड़को के साथ कदम से कदम मिला कर चल रहीं हैं, कोई भी क्षेत्र हो लड़कियों का हर जगह बोलबाला है, चाहें किसी प्राइवेट कंपनी की बात हो या फिर सरकारी नौकरी की।
अंकिता सिंह मूलतः गोरखपुर की निवासी हैं, इन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने ग्रह जनपद गोरखपुर से पूरी की। इसके बाद अंकिता सिंह ने बीए एलएलबी ऑनर्स 2013 में एमिटी यूनिवर्सिटी लखनऊ से किया।
अंकिता सिंह ने बताया कि जब वे स्नातक के तीसरे वर्ष में थी तभी 2011 में उनकी शादी विजय पाल जो पेशे से एक व्यवसायी हैं उनसे हो गयी। शादी के वक्त उनकी उम्र 20 साल थी।
शादी होने के कुछ साल बाद अंकिता की एक बेटी पैदा हुई जिसकी वजह से उन्हें पढ़ाई से किनारा करना पड़ गया, बच्ची की देखभाल और घर गृहस्ती में दो साल कब बीत गए उन्हें पता ही नहीं चला।
जज बनाने का उनका सपना मन मे हमेशा ज़िंदा रहा। उन्होंने बताया कि जब उनकी बेटी थोड़ी बड़ी हो गयी तब उन्होंने 2016 लोहिया विधि विश्विद्यालय लखनऊ में एलएलएम में दाखिला लिया और उसके बाद वे रुकी नहीं।
एलएलएम पूरा करने के बाद उनका चयन लोहिया विधि विश्विद्यालय में ही पीएचडी में भी हो गया। अपनी शैक्षिक पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने यूपीपीएस-जे की भी तैयारी करी और उसका परिणाम उन्हें मिला।
इस बार हुए यूपीपीएस-जे की परीक्षा में उन्होंने 408वीं रैंक हासिल की और अपने साथ-साथ अपने पति के सपने को जज बनकर पूरा किया।
अंकिता सिंह ने बताया कि शादी होने के बाद भी उन्हें उनके पति ने पूरी तरह सपोर्ट किया और पढ़ाई के लिए हमेशा उन्हें प्रेरित किया। हालांकि बेटी होने के बाद उनके दो साल का विराम जरूर लगा लेकिन उन्हें इस बात का अब कोई मलाल नहीं है।
अपनी सफलता का श्रेय वे अपने पति को देती हैं जिन्होंने हमेशा उनका साथ दिया हर परिस्थिति में। उनके भाई अंश अखिल और बहन काजल ने भी उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया।
अपने पिता योगेंद्र पाल और माता आरती पाल को भी उन्होंने धन्यवाद किया और बताया कि उन लोगों ने उन्हें हमेशा बचपन से ही उनका सपोर्ट किया और शुरुआत से ही किसी चीज की कमी नहीं होने दी।
अक्सर देखा गया है कि लड़कियां शादी और बच्चा होने के बाद पढ़ाई पे इतना ध्यान नहीं दे पाती हैं लेकिन अंकिता सिंह ऐसे लोगों के लिए रोले मॉडल हैं।
हमे जरूरत है तो सिर्फ एक जज्बे की और उसे पैदा करने लिए कोई और नहीं आता है बल्कि हमें खुद करना होता है।
अंकिता सिंह की तरह हमारे समाज में कई और भी महिलाएं और लड़कियां हैं जिन्होंने सफलता की ऐसी कहानियां लिखी हैं कि उनके जज्बे को पूरा समाज सलाम करता है।
द फायर की टीम की तरफ से अंकिता सिंह को हार्दिक शुभकामनाएं।
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