सफलता की कहानी: छह साल की उम्र में पापा का साथ खोया, अब जज बनकर पूरी की माँ की तमन्ना


BY- THE FIRE TEAM


सही दिशा में करी गयी मेहनत सफलता की ओर जरूर ले जाती है। इसका जीता जागता उदाहरण हैं लखनऊ के लोहिया लॉ यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे अनुराग जिन्होंने यूपीपीसीएस-जे परीक्षा में 66वीं रैंक हासिल की है।

अनुराग जब छह साल के थे तभी इनके पिताजी का स्वर्गवास हो गया लेकिन इनकी माताजी ने हार नहीं मानी और अकेले ही अनुराग का पालन पोषण किया। इसके लिए अनुराग की माताजी ने नौकरी भी करी।

पिताजी के जाने के बाद परिवार में अनबन भी शुरू हो गयी जमीन जायदाद को लेकर लेकिन फिर भी सारी मुश्किलों का अनुराग और इनकी माताजी ने सामना किया और आज उसका परिणाम ये है कि आज वे उत्तर प्रदेश में होने वाली जज की परीक्षा में चयनित हो गए हैं।

अनुराग ने 2010 में 10वीं पास की और 2012 में 12वीं कक्षा पास की। इसके अलावा 2012 में ही देश मे होने वाली क्लैट परीक्षा पास करके लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में एडमिशन लिया।

अनुराग ने 2017 में दिल्ली में आयोजित होने वाली दिल्ली न्यायायिक सेवा का एग्जाम भी क्वालीफाई किया था जिसमें उनकी 115 रैंक आई थी। इसके अलावा उन्होंने ओएनजीसी की परीक्षा भी पास करी है।

2018 में अनुराग ने एलएलएम की पढ़ाई पूरी करी जिसमें उन्हें गोल्ड मैडल भी मिला। 2018 में ही अनुराग ने नेट-जेआरएफ भी क्वालीफाई किया है। वर्तमान में अनुराग पीएचडी कर रहे हैं।

अपने जीवन में काफी कठिनाइयों का सामना करके अनुराग ने आज वो मुकाम हासिल किया है कि इनकी हर जगह आज चर्चा हो रही है। परिवार में जमीन जायदाद से लेकर जाति मतभेद का भी सामना किया अनुराग ने।

दलित समाज से आने वाले अनुराग को अपनी जाति की वजह से भी कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है लेकिन उन्होंने इसे लेके भी कभी हार नहीं मानी और आज पूरा दलित समाज और इनके मित्रगणों में खुशी की लहर है।

आज अनुराग ने साबित कर दिया कि जाति का सफलता से कोई लेना देना नहीं होता है अगर मेहनत करी गयी है तो सफलता आपके कदम जरूर चूमेगी।


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