देश की न्यायिक इतिहास में यह पहली बार है जब एक साथ नौ जजों को सर्वोच्च न्यायालय में वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने शपथ दिलाई इनमें 3 महिला न्यायाधीश भी शामिल हुईं
जिनके नाम हैं जस्टिस बी वी नागरतना, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस हेमा कोहली. आपको बताते चलें कि न्यायाधीश बनने से पहले नागरतना कर्नाटक हाईकोर्ट में न्यायाधीश थीं.
उन्होंने 1987 में कर्नाटक हाई कोर्ट से वकालत प्रारंभ किया और वहां 23 वर्षों तक कार्य करते हुए वर्ष 2008 में इन्हें एडिशनल जज नियुक्त किया गया.
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।जो सितंबर 2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश भी बनेंगी#IndiaFirst #SupremeCourt pic.twitter.com/PRENIwj0vL
— surendra choudhary (@surendr71293948) August 31, 2021
उसके बाद 2010 में नागरतना कर्नाटक हाईकोर्ट में स्थाई रूप से नियुक्त कर दिया गया. वरिष्ठता के हिसाब से सितंबर 2027 में भारत की पहली महिला चीफ जस्टिस बनेंगी,
किंतु सर्वोच्च न्यायालय के इतिहास में मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल महज 36 दिनों का ही रहेगा. ध्यान देने वाला विषय है कि इनके पूर्व जस्टिस एनके सिंह ने मात्र 18 दिनों के लिए मुख्य न्यायाधीश का पद संभाला था.
उनके बाद जस्टिस राजेंद्र बाबू ने 30 दिनों के लिए चीफ जस्टिस का पदभार संभाला जबकि नागरतना 36 दिनों के लिए मुख्य न्यायाधीश का कार्यकाल संभालेंगी.
जस्टिस बी वी नागरतना के पिता जस्टिस एस वेंकटरमैया भी 1989 में मुख्य न्यायाधीश बने थे. भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में यह दूसरा मौका है जब पिता के बाद दूसरी जनरेशन में पुत्री चीफ जस्टिस बनेगी.