BY–THE FIRE TEAM
उच्चतम न्यायालय ने आर्सेलरमित्तल और न्यूमेटल को दो सप्ताह में गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) बकाये का भुगतान कर देने की स्थिति में एस्सार स्टील के लिए एक बार और बोली लगाने की गुरुवार को छूट दे दी।
न्यायमूर्ति आर.एफ. नरीमन और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने पाया कि दोनों कंपनियां संशोधित दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता के हिसाब से बोली लगाने के लिए अयोग्य हैं। हालांकि, उन्होंने एस्सार स्टील को नहीं बेचने की कर्जदाताओं की समिति की दलील पर गौर करते हुए दोनों कंपनियों को बोली लगाने का नए सिरे से मौका दे दिया।
उच्चतम न्यायालय ने संविधान की धारा 142 के तहत अपने अतिविशिष्ट अधिकार का इस्तेमाल करते हुए दोनों कंपनियों को यह अनुमति दी।
न्यायालय ने कर्जदाताओं की समिति को दोनों कंपनियों की बोली पर आठ सप्ताह के भीतर फैसला लेने को कहा।
न्यायालय ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी), राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) और उच्चतम न्यायालय में मुकदमे की सुनवाई में लगे समय को समाशोधन की 270 दिनों की समय-सीमा से बाहर रखा जाए।
भाषा खबर केे अनुसार अदालत ने कहा कि यदि आठ सप्ताह में कुछ ठोस हल नहीं निकला तो एस्सार स्टील को बेचा जाना चाहिए।