मिली सूचना के मुताबिक सर्वोच्च न्यायालय ने छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस अधिकारी गजेंद्र पाल सिंह के ऊपर लगे राजद्रोह तथा आय से अधिक संपत्ति के मामलों का संज्ञान लेते हुए कहा है कि-
“भाजपा के शासनकाल में लोगों पर दर्ज किए जा रहे राजद्रोह के मामले खतरनाक हैं, इसे रोके जाने की जरूरत है.” जैसा कि आज हम देख पा रहे हैं मोदी सरकार के शासनकाल में देश के नागरिकों पर राजद्रोह के मुकदमे दर्ज कराना आम बात हो चुकी है.
यूएपीए भी अब ट्रेंड बनता चला जा रहा है, इस विषय में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने छत्तीसगढ़ पुलिस को आदेश दिया है कि निलंबित
आईपीएस अधिकारी गजेंद्र पाल सिंह को गिरफ्तार ना करे, साथ ही अधिकारी को भी यह निर्देश दिया गया है कि वह जांच में पुलिस का सहयोग करें.
आपको यहां बता दें कि जब भी कोई राजनीतिक दल सत्ता में आता है तो पुलिस अधिकारी भी उसी सत्ताधारी राजनीतिक दल का पक्ष लेने लगते हैं.
कई जगह तो उन्हीं के दबाव में काम करते हुए भी उन्हें आसानी से देखा जा सकता है. जब कोई दूसरा राजनीतिक दल सत्ता में आता है तो वह पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करता है.
बदला लेने के लिए एक दुसरे पर की की गई कार्रवाई की कार्य संस्कृति खतरनाक है. इस तरह के सिस्टम को शीघ्र बंद करने की जरूरत है.