BY- THE FIRE TEAM
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वोटर वैरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपैट) पर्चियों के मिलान के लिए नमूना मशीनों की संख्या ना बढ़ाये जाने को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को फटकार लगाई।
दरअसल, चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम से वीवीपैट पर्चियों के मिलान की जहां-जहां व्यवस्था है, वह पर्याप्त है। इसकी संख्या बढ़ाने की जरूरत नहीं है, तब शीर्ष अदालत ने कहा कि कोई भी संस्थान बेहतरी के लिए सलाह से खुद को दूर नहीं कर सकता।
संदीप जैन जो चुनाव आयोग के उपायुक्त हैं, उन्होंने वीवीपैट पर्चियों और ईवीएम के मिलान वाले मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाए जाने का विरोध किया।
मामले को संज्ञान में लेते हुए प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने कहा, “न्यायपालिका समेत कोई भी संस्था बेहतरी के लिए किसी भी सलाह को मानने से दूर नहीं भाग सकता।”
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा, “अगर आप इतने अप-टू-डेट हैं, तो फिर चुनाव आयोग खुद क्यों नहीं वीवीपैट लाया। आयोग को अदालत के आदेश के बाद इसे क्यों लाना पड़ा?”
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने चुनाव आयोग को यह याद दिलाते हुए की वीवीपैट शीर्ष अदालत के आदेश के बाद लाया गया था, कहा कि वीवीपैट की अनिवार्यता को लेकर अदालत को चुनाव आयोग का विरोध झेलना पड़ा था।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने संदीप जैन से पूछा, “क्या आप पर्ची मिलान वाले केंद्रों की संख्या बढ़ा सकते हैं ? हम इसे बढ़ाना चाहते हैं।”
21 विपक्षी पार्टियों की याचिका पर 15 मार्च को निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था जिसमे विपक्षी पार्टियों ने 50 प्रतिशत तक वीवीपैट पर्चियों के ईवीएम से मिलान कराने की व्यवस्था की मांग की थी।
याचिका में विपक्षी पार्टियों ने अदालत से आग्रह किया गया था कि आम चुनाव नतीजों की घोषणा होने से पहले ईवीएम के 50 प्रतिशत नतीजों का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किया जाना चाहिए।