आगामी 10 फरवरी को उत्तर प्रदेश में होने जा रहे विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में किस तरह की उठापटक मची हुई है.
इसे स्वामी प्रसाद मौर्य जो भाजपा में शामिल हुए थे इन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया था किंतु उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी के खेमे में चले गए हैं.
ऐसा बताया जा रहा है कि स्वामी मौर्या ने अपने बेटे के लिए भाजपा से टिकट मांगा था जिसके इनकार करने के बाद इन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर सपा के साथ गठबंधन कर लिया है.
मीडिया रिपोर्ट्स की खबरों के मुताबिक इस आरोप के जवाब में मौर्या ने कहा कि मायावती भी खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली हरकत करती थीं जबकि सच्चाई यह है कि यह सभी लोग जबरदस्ती बुलाकर टिकट देने का काम करते रहते हैं.
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए स्वामी प्रसाद मौर्या ने बताया कि मैं परिवारवाद का घोर विरोधी हूं. बीजेपी ने मुझे जबरन बुलाकर टिकट दिया था.
मै हमेशा दलित और पिछड़ों के लिए लड़ा हूं और उनकी लड़ाई को लड़ता रहूंगा. मैंने वर्ष 2016 में ‘बहुजन समाज पार्टी’ को छोड़ा था
क्योंकि मुझे पीएम नरेंद्र मोदी की नियत साफ लगी थी किन्तु आज पता चल रहा है कि बीजेपी की मानसिकता में कोई बदलाव नहीं आया है. उन्होंने सदैव दलित और पिछड़ों के साथ खिलवाड़ किया है.
आपको यहां बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ तीन और विधायकों ने भी भाजपा से इस्तीफा दे दिया है.
इनमें कानपुर के बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र से भगवती सागर, बांदा की तिंदवारी सीट से बृजेश प्रजापति, शाहजहांपुर के तिलहर से रोशन लाल वर्मा शामिल हैं.