नैतिकता के आधार पर राम मंदिर ट्रस्ट की भ्रष्ट कार्यकारिणी को भंग कर देना चाहिए: स्वामी शिवानंद सरस्वती

अयोध्या में बन रहे राम मंदिर को लेकर खरीदी गई जमीन में हुए घपले का संज्ञान लेते हुए लंबे समय से गंगा के अविरल तक के लिए संघर्षरत मातृ सदन हरिद्वार के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा है कि-

“पूरी अनियमितता के लिए ट्रस्ट के कार्य करने लगा रहे ऐसे में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्यों के खिलाफ नैतिकता के आधार पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तत्काल कार्यवाही करते हुए फोन कर देना चाहिए.”

आपको यहां बता दें कि जो जमीन दो करोड़ रुपए जमा कराई गई थी. वहीं जमीन मात्र 10 मिनट के अंदर सारे अट्ठारह को राम मंदिर निर्माण के लिए रजिस्टर्ड करने का मामला सामने आया है.

स्वामी शिवानंद अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि- भगवान राम जैसे व्यक्ति को प्रभु के रूप में लिए अवतार का ट्रस्ट ने अपमान किया है. यह प्रभु राम और धर्म के प्रति समर्पित व्यक्तियों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के समान है.”

ऐसे ट्रस्ट से जुड़े सदस्यों को बर्खास्त करके नए लोगों को लाने की जरूरत है. समाज में ईमानदार लोगों की कमी नहीं है झूठे और मक्कार लोगों को ट्रस्ट में जगह देना नैतिक मूल्यों के खिलाफ है.

जबकि राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने पूरे मामले ने सफाई देते हुए कहा कि 9 नवंबर 2019 को राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद

अयोध्या में जमीन खरीदने के लिए देश के कई लोग सामने आए, स्वयं उत्तर प्रदेश सरकार अयोध्या के विकास के लिए बड़ी मात्रा में जमीन खरीद रही है.

यही वजह है कि जमीनों के दाम बढ़ गए, खरीदी गई जमीन रेलवे स्टेशन के पास स्थित है. इसलिए इसका मूल्य बढ़ा हुआ है. यदि प्रधानमंत्री मोदी ट्रस्ट द्वारा किए गए घोटाले के विषय में

कोई कार्यवाही नहीं हुई तो यह मान लिया जाएगा कि जिस तरह गंगा के नाम पर अधर्म हुआ उसी तरह भगवान राम के नाम पर भी अधर्म होगा.

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