मुट्ठीभर धनकुबेरों के अमीरी की जगह ‘समाजवादी’ गरीबी बेहतर है

“हमारे पास धन नहीं है; लेकिन हमारे पास मानवीय संवेदना है.” “पूँजीवादी और नव उदारवादी वैश्वीकरण ने क्या दिया है? 300 वर्षों के पूँजीवाद के बाद भी विश्व में 80 करोड़ लोग भूखे हैं. अब इस वक्त 1 अरब लोग अनपढ़ हैं, 4 अरब लोग गरीब हैं, 25 करोड़ बच्चे रोज काम पर जाते हैं … Read more

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