जेल के अँधेरों के लिए भी ज़रूरी हैं रोशनी की चंद किरणें-भाग 1
कई फीट ऊंची दीवारों के पीछे, सूरज की किरणों से भी महरूम कर दिये गये बन्दियों की नज़रें दौड़ती हैं उन शहरों, गलियों और अपने घरों की ओर जिनसे उनका जीवन जुड़ा है. लेकिन शाम होते-होते ये थकी, उदास नज़रें जेल के विशाल गेट पर आकर सूनी हो जाती हैं. पिछले एक साल से ये … Read more