राजनीति के चक्र: अपाहिज होती संवेदनशीलता
BY- रवि भटनागर राजनीति की दलदल में सामाजिक सरोकार की सभी व्यवस्थाएं, धरातल में गहरी धंस चुकीं हैं। यह विडम्बना है कि हैवानियत के तमाम मसलों पर इंसानियत के तथाकथित पैरोकार, पीढ़ितों की जात-बिरादरी और धर्म जान कर ही, सधे हुये शब्दों में अपनी-अपनी प्रतिक्रियाँऐ देते हैं। लगभग यही हाल, कानून व्यवस्था के रखवालों का … Read more