किसानों को कृषि में आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार ने ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ स्कीम की शुरुआत किया था जिसमें लाभार्थी कृषकों को ₹6000 वार्षिक किस्तों के रूप में भेजा जाता है.
शत प्रतिशत केंद्र प्रायोजित इस योजना को अभी हाल में प्रारम्भ किया गया है किंतु देश के पहले राज्य तमिलनाडु में इस निधि को लेकर बड़ा घोटाला सामने आया है.
इस विषय में ऐसी सूचना प्राप्त हुई है कि कुछ कर्मचारियों ने आपसी गठजोड़ करके गलत तरीके से गैर-लाभार्थी किसानों का फॉर्म भरने के बाद ऑनलाइन पद्धति से 110 करोड़ रुपए उड़ा दिए.
Big Corruption In PM Kisan Samman Nidhi Yojna, 18 Arrested #PMKISANScheme https://t.co/1yIKm8ZKwz
— Odisha Bhaskar (@odishabhaskar) September 9, 2020
यद्यपि तमिलनाडु के क्राइम ब्रांच सीआईडी ने कार्रवाई करते हुए 18 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है तथा उनसे लगभग ₹47 करोड़ वसूली कर ली गई है.
इस विषय में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि-“तमिलनाडु के कुछ जिलों जैसे विलुपुरम, कलाकुरूचि तथा कुलाडोर में यूजरनेम की जानकारियों को चुराकर अपात्र लोगों का किसान पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन किया गया. तत्पश्चात इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है.”
इस काम में लगे 19 संविदा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं, साथ ही ब्लॉक स्तरीय 3 सहायक निदेशकों को भी सस्पेंड करने का सख्त कदम उठाया गया है.
वहीँ इस घोटाले को लेकर केंद्र सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि योजना के तहत लाभार्थी किसान परिवारों की पहचान करना पूर्णत राज्यों की जिम्मेदारी है. इसमें एक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि-
इस योजना में जिले और कृषि अधिकारियों को 5% लाभार्थियों का भौतिक सत्यापन करने का अधिकार है किंतु वास्तविक तौर पर ऐसा किया जाना दिखता नहीं है जिसके कारण इस तरह की घटना सामने आई है.
किसानों को कैसे प्राप्त होती है यह निधि:
इस योजना में राज्य सरकारों के द्वारा अपने किसानों का डाटा प्रमाणित करके केंद्र को भेजा जाता है तो केंद्र यह पैसा राज्यों के द्वारा भेजे गए डेटा के आधार पर राज्यों के खाते में पहुंच जाता है और फिर राज्य के अकाउंट से किसानों के खातों तक पैसा पहुंचता है.