दलित शब्द ‘अपमानजनक’ नहीं बल्कि ‘स्वाभिमान और गर्व’ का प्रतीक


BY- SHREYAT


भारत में यदि आप किसी से कहते हो कि आप दलित हो तो आप को वह दीन-हीन और शोषित समझता है। यद्यपि ऐसा बिलकुल भी नहीं है, दलित शब्द स्वाभिमान और गर्व का प्रतीक है।

इसको इस तरह से समझा जा सकता है कि जिन लोगों ने भारत में दलित समुदाय को सदियों से गुलाम एवं अशिक्षित रखा और शोषण किया वह दलित समुदाय या उसके प्रतीकों को कैसे सम्मान दे सकते हैं।

दलित शब्द सांस्कृतिक शब्द है, जो कि माना जाता है कि दलित पैंथर आंदोलन से लिया गया है लेकिन इसके पूर्व भी दलित नाम से दो संगठन दलित उद्धार मण्डल और दलित प्रतिनधि सभा पंजाब में बनाए गए थे।

दलित शब्द प्रयोग डॉ. अंबेडकर ने अपनी राजनीतिक पार्टी शैड्यूल कास्ट फ़ैडरेशन ऑफ इंडिया के मराठी भाषा में दिये गए चुनावी पत्र में किया है।

उन्होंने अपने इस चुनावी पत्र में अपनी राजनीतिक पार्टी को मराठी भाषा में अखिल भारतीय दलित फ़ैडरेशन कहा है। इस प्रकार से दलित शब्द डॉ. अंबेडकर द्वारा भी प्रयोग और प्रचारित किया गया है।

लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि दलित शब्द को आमजनमानस के बीच लाने का श्रेय दलित पैंथर आंदोलन को ही जाता है।

दलित समुदाय के लिए संविधान में शैड्यूल कास्ट शब्द का प्रयोग है, जबकि दलित सांस्कृतिक शब्द है जिससे लोग जुड़ाव महसूस कर रहे हैं।

दलित शब्द के स्थान पर कुछ लोग बहुजन शब्द का भी प्रयोग करते है, क्योंकि मान्यवर कांशीराम ने दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक समुदाय को राजनीतिक दृष्टि से गोलबंद करने के लिए बहुजन शब्द का प्रयोग किया था।

बहुजन शब्द भी महाराष्ट्र के मुकुन्द राव पाटील द्वारा 1910 में बनाए गए उनके संगठन बहुजन समाज में प्रयोग हो चुका है।

इस प्रकार से यह तथ्य निकल कर आता है कि दलित शब्द इस समुदाय की संस्कृति से, बहुजन शब्द इस समुदाय कि राजनीति से और शैड्यूल कास्ट शब्द इस समुदाय के लिए संवैधानिक रूप से प्रयोग किया जाता है।

दलित शब्द को डॉ. अंबेडकर ने अपने अंग्रेजी लेखन में प्रयोग नहीं किया है लेकिन उन्होंने अपने मराठी लेखन में पद दलित शब्द का प्रयोग किया है।

दलित शब्द भले ही संविधान में प्रयोग नहीं हुआ है लेकिन यह शब्द डॉ. अंबेडकर के द्वारा भी प्रयोग किया गया है, मान्यवर कांशीराम ने दलित शब्द का प्रयोग करके डीएस4 (दलित शोषित समाज संघर्ष समिति 1981) संगठन बनाया और दलित शब्द को सम्मान देने के लिए नोएडा में दलित प्रेरणा स्थल बनवाया।

इस प्रकार से दलित शब्द किसी भी दृष्टिकोण से अपमानजनक शब्द नहीं है बल्कि स्वाभिमान का प्रतीक है।

दलित शब्द को अकैडमिक रूप से भी स्वीकार किया गया है

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइन्सेस (TISS) मुंबई में दलित एवं जनजातीय अध्ययन में पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स है, हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में दलित एवं आदिवासी अध्ययन केंद्र है, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ दलित स्टडीज (IIDS) नयी दिल्ली में है, डॉ. अंबेडकर दलित एवं जनजातीय अध्ययन केंद्र एमजीएचएवी, वर्धा में स्थित प्रमुख दलित अध्ययन संस्थान है।


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