प्राप्त सूचना के मुताबिक पिछले वर्ष फरवरी-मार्च में जब भारत में कोरोना संक्रमण की शुरुआत हुई तो दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के हजारों लोगों को इसमें शामिल होने का झूठा प्रपंच रचा गया है.
ऐसा बताया गया कि देश के अलग-अलग हिस्सों में जमात के लोग पहुंचे और उन्होंने कोरोना के संक्रमण को फैलाया हालांकि अनेक मामलों में सबूत ना मिलने के कारण जमात के लोग निर्दोष साबित हुए.
तिरुपति में तबलीग़ी जमात के लोगों ने पेश की इंसानियत की नायाब मिसाल. यूनाइटेड मुस्लिम एसोसिएशन बना कर अब तक कर चुके हैं 500 लावारिस छोड़े गए शवों का अंतिम संस्कार.https://t.co/GaTHLPYUE5
— We The People (@myindianhope) May 9, 2021
अब फिर से तबलीगी जमात चर्चा का विषय बना है क्योंकि अब इन्होंने ऐसे मरीजों के अंतिम संस्कार का जिम्मा उठाया है जो कोरोनावायरस से मर रहे हैं.
आंध्र प्रदेश की तिरुपति में यूनाइटेड मुस्लिम एसोसिएशन के अंतर्गत ‘कोविड-19 ज्वाइंट एक्शन कमेटी’ की स्थापना की गई है जिसमें तबलीगी लोग शामिल हैं.
गॉस #TablighiJamaat के सक्रिय सदस्य हैं. दूसरे सदस्यों के साथ मिलकर उन्होंने तिरुपति यूनाइटेड मुस्लिम एसोसिएशन के तहत #COVID19 जॉइंट एक्शन कमेटी (JAC) बनाई है. इसका काम लोगों के कोविड संबंधी मुद्दों को देखना है, जिसमें अंतिम संस्कार करना भी शामिल है.https://t.co/ISs3Vx7k0L
— Mahtab महताब مہتاب (@MahtabNama) May 10, 2021
यह बिना किसी समुदाय और धर्म की परवाह किए मृत कोविड मरीजों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं. इस विषय में जमात के सदस्य जेएमडी गोस ने बताया है कि-
“फोन पर मिली जानकारी के आधार पर प्रत्येक दिन 60 वॉलिंटियर्स के साथ करीब 15 शवों का अंतिम संस्कार इनके द्वारा किया जा रहा है.”
अंतिम संस्कार करते वक्त इस बात का पूरा ख्याल रखा जाता है कि मृतक व्यक्ति के धार्मिक परंपराओं के अनुसार ही उसका संस्कार किया जाए.
यानी कि मृतक हिंदू है तो उसके लिए कपड़े और फूल माला जबकि मृतक ईसाई है तो चर्च से फादर को बुला कर उसे दफनाया जाता है वहीं मुस्लिमों के लिए बकायदा जनाजे की नमाज का प्रबंध होता है.