BY- THE FIRE TEAM
मिनिस्ट्री ऑफ स्टेटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इम्पलीमेंटेशन द्वारा शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में बेरोजगारी 2017-18 में कुल श्रम बल का 6.1% थी, जो कि 45 वर्षों में सबसे अधिक है।
मीडिया में लीक हुआ डेटा इस बात की पुष्टि करता है की जनवरी में सरकार ने बेरोजगारी के आंकड़ो को छुपाया था।
आंकड़ों से पता चला कि शहरी क्षेत्रों के सभी नियोजित युवाओं में 7.8% बेरोजगार थे, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 5.3% था। पुरुषों में बेरोजगारी 6.2% थी, जबकि महिलाओं के मामले में यह 5.7% थी।
नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (NSSO) द्वारा आयोजित 2017-18 के लिए पीरियोडिक लेबर फ़ोर्स सर्वे की वार्षिक रिपोर्ट में डेटा प्रकाशित किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, 15 से 29 वर्ष के बीच के ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुषों में बेरोजगारी की दर समान आयु वर्ग में महिलाओं के लिए 17.4% और 13.6% थी।
2017-18 में शहरी पुरुष युवाओं की बेरोजगारी दर 18.7% थी, जबकि महिला युवाओं की बेरोजगारी दर 27.2% थी।
एक सरकारी एजेंसी द्वारा विमुद्रीकरण के बाद से रोजगार पर यह पहला सर्वेक्षण है। पीरियोडिक लेबर फ़ोर्स सर्वे, नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस का पहला वार्षिक घरेलू सर्वेक्षण भी है। इसका डेटा जुलाई 2017 और जून 2018 के बीच एकत्र किया गया था।
31 जनवरी को बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सरकार द्वारा कथित तौर पर छुपाए गए एक अध्ययन ने 2017-18 में 45 सालों में सबसे अधिक 6.1% की बेरोजगारी दर विमुद्रिकरण के बाद पाई।
विपक्षी नेताओं ने इसका इस्तेमाल सरकार पर प्रदर्शन के लिए हमला करने और कथित तौर पर रिपोर्ट को कवर करने के लिए एक अवसर के रूप में किया था, जबकि क्षेत्र के विशेषज्ञों, जैसे कि अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने आंकड़ों के बारे में चिंता व्यक्त की थी।
सरकार द्वारा डेटा जारी करने से इनकार करने के बाद राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों ने इस्तीफा भी दे दिया था।
इससे पहले भी इस बात की पुष्टि की जा चुकी थी कि देश में 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर 2017-18 में बढ़ी है और इसका खुलासा भी नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस ने किया था।
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