उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश चंद्र द्विवेदी द्वारा अपने भाई को गरीबी रेखा से नीचे बता कर आय का फर्जी प्रमाण पत्र बनाकर ईडब्ल्यूएस कोटे से
असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त करवाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. इस विषय पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने टिप्पणी करते हुए कहा कि-
पंचायत चुनाव में ड्यूटी करते हुए मारे गए 1621 शिक्षकों की उप्र शिक्षक संघ द्वारा जारी लिस्ट को संवेदनहीन यूपी सरकार झूठ कहकर मृत शिक्षकों की संख्या मात्र 3 बता रही है।
शिक्षकों को जीते जी उचित सुरक्षा उपकरण और इलाज नहीं मिला और अब मृत्यु के बाद सरकार उनका सम्मान भी छीन रही है। pic.twitter.com/6mpkTsOQV7
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) May 19, 2021
“इस संकट काल में यूपी सरकार के मंत्री गण आम लोगों की मदद करने से रहे, हालांकि आपदा में अवसर हड़पने में ये पीछे नहीं है उत्तर प्रदेश के लाखों युवा
आज नौकरियों की राह देख रहे हैं. लेकिन नौकरियां केवल आपदा में अवसर हड़पने वालों की ही लग रही हैं. ये गरीबों और आरक्षण दोनों का मजाक बना रहे हैं.”
आपको बता दें कि सतीश चंद्र ऐसे मंत्री हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में ड्यूटी करते समय कोरोना से संक्रमित होकर 1621 शिक्षकों की मौत को
जब सारे नियमों को ताक पर रखकर कार्य करेंगे तो कोई भी जरूर आवाज उठाएगा https://t.co/B5dc7CodF1
— AGAZ BHARAT NEWS (@agaz_news) May 24, 2021
झूठलाते हुए इसे न केवल विपक्ष की साजिश करार दिया बल्कि टर्म एंड कंडीशन के जंजाल में उलझा कर सिर्फ 3 शिक्षकों को ही मृत घोषित किया.
सतीश चंद्र यहीं नहीं रुके बल्कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु, उत्तर प्रदेश के कुलपति सुरेंद्र दुबे (जो सेवानिवृत हो रहे थे) को अनावश्यक एक्सटेंशन देकर
अपने सगे भाई अरुण त्रिवेदी को विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर भी नियुक्त करवाया. पूरे मामले को लेकर आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने भी
द्विवेदी को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि- उत्तर प्रदेश के लाखों बेरोजगार नौजवान सीएम आदित्यनाथ से पूछ रहे हैं कि इन्हें चपरासी
की नौकरी के लिए भी लंबी-लंबी लाइनें लगाकर फॉर्म भरने के बावजूद नौकरी नहीं मिलती. इसके ऊपर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक इन्हें जाना पड़ता है.
लाखों शिक्षामित्र जब नौकरी की बात करते हैं तो इन्हें ना केवल भद्दी-भद्दी गालियां दी जाती हैं बल्कि इनके ऊपर लाठियां भांज कर इन्हें घायल भी कर दिया जाता है.
नैतिकता के आधार पर क्या सीएम आदित्यनाथ अपने इस मंत्री को बर्खास्त करके इनके विरुद्ध जांच के आदेश दे सकते हैं? सोचने का विषय यह है कि अब मंत्रियों के भाई भी गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं.