BY- Rajeev yadav
सचिवालय- 110/60 हरिनाथ बनर्जी स्ट्रीट, नया गांव पूर्व, लाटूश रोड लखनऊ
प्रिय दोस्तों,
उत्तर प्रदेश में संविधान, लोकतंत्र, सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत गांव-कस्बों के आंदोलनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने के लिए अभियान का आयोजन किया जा रहा है। यह अभियान यूपी में चार चरणों में होगा। पहला चरण बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2018 से लखनऊ से प्रारम्भ होकर सुल्तानपुर, जौनपुर, आज़मगढ़, मऊ, बलिया, गाज़ीपुर, वाराणसी, भदोही, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, रायबरेली होते हुए बुद्धवार, 5 सितम्बर को लखनऊ में समाप्त होगा। गांव-कस्बों से होते हुए कोई दो हजार किलोमीटर का रास्ता तय किया जाएगा।
अपना भारत बनाने के लिए जिस तरह से किसानों, नौजवानों, महिलाओं की आवाज बुलंद हो रही है उससे एक बात तो साफ तौर पर लगती है कि बहुत कुछ खतरे में होने के दौर में आम-अवाम नया भारत बनाने की राह को छोड़ने वाली नहीं है। आम-अवाम की यह चेतना जो कभी बीएचयू गेट पर अड़ जाती है- अपनी आजादी के लिए तो कहीं नासिक से किसानों का जत्था निकल पड़ता है- अपनी जमीन के लिए और वो भी तब जब जल-जंगल-जमीन को राजनीति का एजेण्डा माना ही नहीं जा रहा है। तो वहीं 2 अप्रैल को आम जनता हक-हुकूक के लिए भारत बंद कर देती है और अपनी बेटी आसिफा के लिए सड़कों पर उतर आती है।
आखिर बाबा साहेब की मूर्ति से उन्हें क्या खतरा है? जगह-जगह हमले किए जाते हैं और ठहाके लगाकर कानून व्यस्था दुरुस्त करने के नाम पर फर्जी मुठभेड़ों में हत्याएं की जाती हैं। आखिर क्यों दलित-मुस्लिम पर ही रासुका लगाया जाता है? उन्हें ही क्यों राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया जाता है? कहीं एंटी रोमियो स्क्वायड के नाम पर आधी आबादी को कैद करने की कोशिश की जाती है तो कहीं खान-पान के नाम पर मुस्लिम समुदाय के लोगों को भीड़ द्वारा घेर कर मार दिया जाता है। कड़े कानून के नाम पर यूपीकोका जैसा गैर लोकतांत्रिक कानून लाने की कवायद की जाती है। अच्छे दिनों के नाम पर बुलेट ट्रेन-इन्वेस्टर्स समिट के बहाने किसानों की भूमि कब्जाने की साजिश की जा रही है। एंटी भू माफिया टास्क फोर्स के जरिए वंचित समाज की भूमि से बेदखली की जा रही है। हर तरह से लोगों को मारने का तरीका निकालने की राजनीति को बढ़ावा दिया जा रहा है। नोटबंदी-जीएसटी के नाम पर जनता को चोर कहा जा रहा है और बैंकों को कंगाल कर माल्या-मोदी विदेशों की सैर पर हैं।
संविधान की आत्मा, सामाजिक न्याय, देश की एकता, जीने का अधिकार, आरक्षण, शिक्षा-स्वास्थ्य, किसानी, रोजगार, सच कहने की आजादी, हक-इंसाफ की आवाज, अदालती दस्तूर और लोकतंत्र की बुनियाद एक संगठित भीड़ के हमले से खतरे में है। इस संगठित हमले को सामूहिक चेतना कहकर उकसाया जा रहा है जो संविधान और उसके मूल्यों के खिलाफ है।
यह खतरे का सायरन है। यह हालात की मांग है कि हम न्यूनतम साझा कार्यक्रम बनाएं, साझा अभियानों में उतरें। इस नजरिए के साथ हुई सिलसिलेवार चर्चाओं से गुजर कर उत्तर प्रदेश में यात्रा निकाले जाने का साझे तौर पर फैसला हुआ है। प्रस्तावित यात्रा चार चरणों में पूर्वांचल, अवध-तराई, पष्चिम यूपी और बुंदेलखंड में होगी।
यात्रा का मकसद है- दमन से गुजरे उन इलाकों में जहां हस्तक्षेप हुए उस जमीन को मजबूत करना, नई शक्तियों की पहचान करना, संबंधित सवालों पर लोगों से लोगों को जोड़ना।
इस अभियान में आपका स्वागत है। अगर आप सहयात्री बनना चाहते हैं तो हमें पहले से जरुर सूचित करें ताकि इस यात्रा में आपको शामिल किया जा सके। अभियान को आर्थिक सहयोग की जरुरत है। हमें उम्मीद है कि आप सहयोग करेंगे।