प्राप्त सूचना के अनुसार स्वास्थ्य विभाग की तरफ से 26,292 कर्मचारियों का डाटा तैयार करके सरकार को भेजा गया था किंतु अब तक सिर्फ 24,289 स्वास्थ्य कर्मियों का आंकड़ा ही उपलब्ध हो पाया है.
इस रिकॉर्ड के आते ही शासन-प्रशासन में अफरा-तफरी का माहौल बन गया है, हालांकि इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं ना कहीं स्वास्थ्य कर्मियों का रिकॉर्ड बनाने में कुछ गड़बड़ी की गई है.
आपको यहां बता दें कि कोरोनावायरस के विरुद्ध बनाए गए टीके को सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों को लगाए जाने का निर्णय सरकार के द्वारा लिया गया था.
इसी के अंतर्गत उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सभी जिलों से सरकारी और निजी अस्पतालों के सभी स्वास्थ्य कर्मियों की सूची तैयार कराई और उनका वैक्सीनेशन भी किया गया,
किंतु अभी जो डाटा प्राप्त हुआ है उसमें अट्ठारह सौ से अधिक स्वास्थ्य कर्मियों का गायब होना कई तरह के सवालिया निशान को खड़ा करती है.
इस मामले में जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉक्टर आर एन सिंह का कहना है कि कोविड-19 का पहला चरण पूरा होने के बाद 1800 स्वास्थ्य कर्मियों का आंकड़ा अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है.
इससे कई आशंकाएं जताई रही हैं मसलन- कई स्वास्थ्य कर्मियों का नाम 2 या उससे अधिक बार दर्ज कर दिए गए अथवा ऐसे लोगों का नाम भी शामिल कर लिया गया जो मानक में नहीं आते हैं.
बहरहाल अब यह जांच का विषय है जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही पूरे तौर पर कुछ कहा जा सकेगा.