गोरखपुर: कार्यालय अधिशासी अभियंता दशम खंड, उत्तर प्रदेश जल निगम, गोरखपुर में भोजन अवकाश के समय गोरखपुर के अंतर्गत कार्यरत अधिकारियों,
कर्मचारियों एवं सेवानिवृत्त जल निगम परिवार के साथियों द्वारा सत्याग्रह किया गया जिसमें कई बुजुर्ग पेंशनर (80 वर्ष के ऊपर) भी शामिल रहे.
सभी सत्याग्रह आंदोलन करते हुए माननीय मुख्यमंत्री से जल निगम कर्मियों एवं पेंशनरों ने विगत चार माह से बकाया वेतन, पेंशन का भुगतान न किए जाने के विरोध में अपना सत्याग्रह आंदोलन ग्यारहवें दिन भी जारी रखा.
सभा को संबोधित करते हुए रवीन्द्र कुमार ने कहा कि-“माननीय मुख्यमंत्री जी ने जल निगम को लेकर अपनी अध्यक्षता में मार्च से जुलाई तक चार बैठकर की किंतु नौकरशाही उनके आदेशों को किंतु-परंतु लगाकर पालन नहीं किया है जिससे पेयजल एवं सीवर व्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर पहुंच गई है.”
रवि प्रताप पांडेय ने कहा कि- “शिलान्यास के समय माननीय प्रधानमंत्री से मुख्यमंत्री तक सभी जल निगम की खूब प्रशंसा करते हैं किंतु जल निगम को वेतन, पेंशन मद की धनराशि जारी करने वाला मुंह मोड़ लेते हैं.”
धर्म प्रकाश महेश्वरी ने कहा कि– “जल निगम प्रशासन पूरी तरह क्रूरता पर उतर आया है तथा विगत चार माह से वेतन, पेंशन ना देकर उनका दमन कर रहा है.”
इसके अलावा कोरोना संक्रमितों को अवकाश तक न देने सहित जल निगम प्रशासन प्रबंधन पर माननीय उच्च न्यायालय को गुमराह करने व माननीय न्यायालय की अवमानना करने का भी आरोप लगाया.
चंद्र प्रकाश शर्मा ने कहा कि-“माननीय मुख्यमंत्री जी गोरखपुर शहर जाते हैं, उन्हीं के शहर के कर्मचारी पेंशन के अभाव में भूखों मर रहे हैं, मुख्यमंत्री को इस प्रकरण पर गंभीरता पूर्वक विचार करना चाहिए.”
नितेश नायक ने प्रबंध निदेशक की इस बात के लिए निंदा किया कि जल निगम के खंड कार्यालयों के पास उपलब्ध लाभांश तक नहीं ला पा रहे हैं तो शासन से वेतन एवं पेंशन हेतु क्या धनराशि ला पाएंगे.
कार्यक्रम में सभा के अध्यक्ष धर्म प्रकाश महेश्वरी, हरगोविंद लाल, लालमन, गोरखनाथ पटेल, चित्र प्रसाद छपाई, अशोक कुमार पाठक एवं वीरेन्द्र प्रताप सिंह उपस्थित रहे जबकि संचालन चंद्र प्रकाश शर्मा ने किया.