पूर्वांचल सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप ने बताया कि हरिद्वार स्थित शांतिकुंज आश्रम में गरीब, बेसहारा व अनाथ बालिकाओं को नि:शुल्क शिक्षा–दीक्षा एवं शादी करवाने के नाम पर आश्रम में
लाने के बाद इन्हें दिया जलाने, प्रसाद बनाने, भजन करने आदि के कार्य में लगा दिया जाता है. इनमें से कुछ चुनिंदा बच्चियों को जिन्हें,
स्वयं प्रणव पंड्या चुनते हैं, को उनकी व्यक्तिगत सेवा में लगा दिया जाता है जिनका शारीरिक व मानसिक शोषण प्रणव पंड्या के द्वारा किया जाता है.
यह बात स्वयं कई पीड़ितों ने अपने मुंह से कही है जिसकी वॉइस रिकॉर्डिंग ऋषि संसद नाम के फेसबुक पेज पर उपलब्ध है.
https://twitter.com/purvanchalrock/status/1529468228598046720?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1529468228598046720%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fpublish.twitter.com%2F%3Fquery%3Dhttps3A2F2Ftwitter.com2Fpurvanchalrock2Fstatus2F1529468228598046720widget%3DTweet
इन्हीं में से एक बच्ची शक्ति साहू (बदला हुआ नाम) द्वारा महिला आयोग को दिए गए बयान के मुताबिक 19 मार्च, 2010 को नि:शुल्क पढ़ाई-लिखाई व शादी करवाने के नाम पर उसके घर से आश्रम ले जाया गया.
21 मार्च, 2010 से वह आश्रम में रहने लगी. इस बच्ची के द्वारा महिला आयोग को दिए गए बयान के मुताबिक उसे पहले तो
आश्रम के दूसरे कार्य जैसे प्रसाद बनाना, ज्योति जलाना, नाश्ता बनाना इत्यादि कार्य करवाए गए बाद में उसे प्रणव पंड्या के व्यक्तिगत सेवा में लगा दिया गया.
शक्ति साहू द्वारा महिला आयोग को दिए गए बयान के मुताबिक जुलाई 2010 से उसके साथ रेप शुरू हुआ और विरोध करने पर उसे यह कहा गया कि ऐसा सभी के साथ होता है.
शक्ति के साथ टीम में 10 अन्य लड़कियां भी थीं, जिनके साथ प्रणव पंड्या हर दिन बदल-बदल कर रेप करता था.
शक्ति साहू ने वर्ष 2018 में इसके खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश की लेकिन किसी ने उसका साथ नहीं दिया
बल्कि उसे यह कहकर चुप करा दिया गया कि चुप रहोगी तो तुम्हारी धूमधाम से शादी करवा दी जाएगी.
यदि तुम इस बारे में कहीं कुछ बोलोगी तो तुम्हारे पूरे परिवार को मरवा दिया जाएगा. महिला आयोग को दिया गया,
यह सारा बयान आप ऋषि संसद के पेज पर 5 जून, 2021को पोस्ट वीडियो में जाकर देख भी सकते हैं.
4 मई, 2020 को महिला आयोग को दिए गए इस बयान के बाद महिला आयोग की पहल से 5 मई, 2020 को दिल्ली के विवेक विहार थाने में जीरो एफआईआर दर्ज हुआ.
इसके बाद 9 मई, 2020 को यह FIR कोतवाली हरिद्वार में ट्रांसफर हुआ और वहां पर प्रणव पंड्या के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ.
इसके बाद कार्यवाही आगे बढ़ी और पीड़िता का 27 मई, 2020 को 161 व 2 जून 2020 को 164 का बयान दर्ज हुआ जिसमें कोर्ट ने वीडियो रिकॉर्डिंग भी करवाई है.
चुकीं यह लॉकडाउन का समय था, परिस्थितियां प्रतिकूल थी और प्रणव पंड्या के गुंडे दिन-रात पीड़िता और उसके परिवार को धमका रहे थे, मारने के लिए ढूंढ रहे थे.
ऐसे समय में पीड़िता ने गायत्री परिवार के समर्पित कार्यकर्ता हरगोविंद प्रवाह जो अपना जीवन समर्पित कर पिछले 30 वर्षों से गायत्री परिवार के मिशन का काम कर रहे थे, से मदद मांगी.
हरगोविंद परिवार सहित अन्य कई लोग जो प्रणव पंड्या के शोषण के मामले को जानते हुए भी चुप थे, पीड़िता की मदद में लग गए और उसे कानूनी मदद दिलवाई.
उत्तराखंड पुलिस जो कि प्रणव पंड्या के प्रभाव में थी, ने पीड़िता की कोई मदद नहीं की बल्कि लगातार पीड़िता की मदद करने वालों को तरह-तरह से प्रताड़ित करने में लगी रही.
11 अक्टूबर, 2020 को उत्तराखंड पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में पेश किया और कहा की लड़की ने एक पत्र के माध्यम से यह कबूल किया है कि उसके साथ कुछ भी नहीं हुआ था.
लड़की का सहयोग कर रहे लोगों ने जब लड़की से इस फाइनल रिपोर्ट के बारे में पूछा तो उसने बस इतना ही कहा कि मेरे और मेरे परिवार की जान को खतरा है.
इसके बाद 23 नवंबर के बाद से लड़की और उसके परिवार के लोग लापता हैं, पीड़िता से हरगोविंद प्रवाह सहित उसकी मदद कर रहे लोगों का कोई संपर्क नहीं हो पाया.
इस गिरफ्तारी के संबंध में निम्न बिंदुओं से पत्रकार, शासन-प्रशासन को अवगत कराना है कि
1–यह गिरफ्तारी अनैतिक है जिन मामलों में मुकदमे दर्ज हैं उन मामलों में सीधे तौर पर गिरफ्तारी का प्रावधान नहीं है
2–गैर-प्रदेश की पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के बाद मुल्जिम को ले जाने के लिए अन्य प्रदेश की पुलिस को जहाँ से गिरफ्तारी हुई है,
वहां के CJM द्वारा ट्रांजिट रिमांड लेना होता है, उत्तराखंड पुलिस ने बिना ट्रांजिट रिमांड के हरगोविंद प्रवाह को उत्तर प्रदेश से उत्तराखंड ले गई.
3–गिरफ्तारी के दौरान उत्तर प्रदेश पुलिस के साथ उत्तराखंड पुलिस के अलावा 5–6 व्यक्ति अन्य थे जो कि पुलिस के नहीं बल्कि प्रणव पंड्या के गुंडे थे,
जिसमें से एक आलोक सिंह नाम के व्यक्ति को बखूबी चेहरे से पहचानते हैं, इनके खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस से कार्यवाही करने की मांग किया जाएगा.
4–समाचार पत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गुलरिया थाना अंतर्गत पड़ने वाले भटहट चौकी इंचार्ज ज्योति नारायण तिवारी एवम
थाना प्रभारी गुलहरिया वाजयपेयी जी के द्वारा यह बताया गया कि हरगोविंद प्रवाह पास्को एक्ट के आरोप में वारंटी थे जो कि सरासर गलत है.
सच्चाई यह है कि जिस मामले में हरगोविंद प्रवाह की गिरफ्तारी हुई है उस मामले के FIR संख्या 310/2020 के मुताबिक
हरगोविंद प्रवाह और इनके सहयोगियों पर धारा 323/365/368/195/504/506/34/120B IPC लगाई गई है, इसमें पास्को एक्ट का कोई चार्ज नहीं है.
लेकिन साजिशन प्रणव पंड्या के इशारे पर हरगोविंद प्रवाह एवम पीड़िता के सह- योगियों को बदनाम करने के लिए उन्हें
पास्को एक्ट का आरोपी बताया गया जिसकी जवाबदेही चौकी इंचार्ज भटहट, व थाना प्रभारी गुलहरिया की बननी चाहिए.
5–हरगोविंद प्रवाह की गिरफ्तारी के समय उत्तराखंड पुलिस गुलरिया थाना की पुलिस के अलावा 5–6 प्राइवेट व्यक्तियों के साथ
बिना नंबर की गाड़ियां लेकर गाड़ियों में हरगोविंद प्रवाह को जबरिया बैठा कर ले जाया गया जिसकी तत्काल जानकारी
आईजीआरएस व ट्वीट के माध्यम से डीजीपी उत्तर प्रदेश, डीजीपी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश पुलिस और उत्तराखंड पुलिस
को दी गई, जिसको संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा सीओ चौरी-चौरा को जांच सौंपा गया है.