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उत्तर और पूर्वी भारत की जीवन रेखा माने जाने वाली गंगा नदी को बचाने में अग्रणी भूमिका निभाने वाली संस्था ‘मातृ सदन‘ के जाने-माने संत स्वामी शिवानंद सरस्वती ने

संत परंपरा, सनातन संस्कृति तथा हिंदुत्व के कथित ठेकेदार समझे जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर तीखा प्रहार किया है.

उन्होंने कहा कि टीवी चैनलों के माध्यम से प्रवचन देकर लोगों से चंदा उगाही के धंधे में नई उम्र के आए युवा, स्वयं को संत कहने तथा हिंदुत्व की रक्षा करने वाला बताकर भोली-भाली जनता को ठगने का काम कर रहे हैं.

क्योंकि यह किसी सनातन परंपरा का निर्वाह न करके भोगवादी संस्कृति में लिप्त हैं. ज्ञान ना होने के बाद भी धर्म का उपदेश देते फिर रहे हैं.

दरअसल यह भौतिकतावाद में फंसे हुए युवा हैं जो रात भर भोग विलास में मस्त रहते हैं और सुबह में प्रवचन करना शुरू कर देते हैं.

बिना विरक्ति के ईश्वर के साथ तादात्म्य स्थापित नहीं किया जा सकता है. योग और भोग दो अलग-अलग पहलू हैं जिन्हें ठीक ढंग से समझने की जरूरत है.

बाजारवाद का सहारा लेकर इन धंधेबाजों ने अपने अनुयायियों की संख्या तो बढ़ा ली है किंतु इससे उनकी महानता सिद्ध नहीं होती है.

हमें महाभारत से सीखने की जरूरत है क्योंकि कृष्ण पांडव के साथ थे जबकि सेना कौरवों के साथ थी. युद्ध में यदि पांडव विजई हुए तो इसका मुख्य कारण सेना नहीं बल्कि उनका धर्म के साथ होना था.

धैर्य, पवित्रता, दया, सरलता, सत्य, विद्या, क्षमा, बुद्धिमत्ता ऐसे कई तत्व हैं जो धर्म के लक्षण हैं. इन्हें गंभीरता से आत्मसात करने के बाद ही कोई भी व्यक्ति किसी अन्य को उपदेश देने का अधिकारी बनता है.

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि आजकल के यह तथाकथित युवा संत बड़ी-बड़ी गाड़ियों और हवाई जहाजों में घूम कर सांसारिक भोग में लिपटे हुए हैं.

इनसे किसी भी तरह के त्याग की कल्पना नहीं की जा सकती है. आप अगर ध्यान दें तो देखेंगे कि आसन पर बैठने से पहले यह घंटो तक मेकअप मैन से मेकअप करवाने के बाद लोगों के सामने आते हैं.

यदि ऐसे तथाकथित संतो की भविष्यवाणियों में इतनी ही सत्यता थी तो इन्होंने कोरोना वायरस की क्यों नहीं कर दी.? यह तो स्वयं के आश्रमों में भी कोविड को घुसने से नहीं रोक पाए.

शिवानंद जी ने आरएसएस पर भी हमला बोलते हुए सवालिया निशान खड़ा किया. उन्होंने बताया कि आरएसएस स्वयं को हिंदुत्व का ठेकेदार और सनातन संस्कृति का रक्षक बताता है

किंतु उसी के शासनकाल में आज सनातन परंपरा को कई खतरों से जूझते हुए देखा जा रहा है. यहां तक कि कई अपराधिक घटनाओं को आरएसएस के अनुयायियों ने ही अंजाम दिया है.

अंकिता हत्याकांड में आरएसएस नेता विनोद आर्य का बेटा खुलेआम लिप्त था. इन्होंने खुले तौर पर बताया कि धरती के किसी भी स्थान पर

आरएसएस का एक भी कार्यालय ऐसा नहीं है जहाँ धर्म के तत्व पर कोई चर्चा होती हो. वहां सिर्फ और सिर्फ राम मंदिर और उसके मूल में राम मंदिर निर्माण के लिए इकट्ठा होने वाला चंदा ही चर्चा का विषय बना रहता है.

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