dainik bhaskar

हम दिनों दिन तकनिगत रूप से मजबूत होते जा रहे हैं तथा हमारे आर्थिक व्यवस्था में जो तब्दीली आई है,

उसने कहीं ना कहीं हमारे परंपरागत सामाजिक व्यवस्था को बदलने में अहम भूमिका निभाया है.

आज शिक्षा व्यवस्था में बदलाव तथा लैंगिक भेदभाव से मुक्ति ने कहीं न कहीं निश्चित तौर पर समाज के आधी आबादी को भी अपनी काबिलियत को स्थापित करने का मौका दिया है.

इसी क्रम में उत्तराखंड के हरिद्वार से एक आश्चर्यजनक मामला सामने आया है जहां एक बुजुर्ग दंपत्ति ने अपने बेटे और बहू

के खिलाफ ही अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए अपने लिए पोता/ पोती का सुख पाने के लिए अपील किया है.

बुजुर्ग दंपत्ति ने वर्ष 2016 में अपने बेटे का विवाह यह सोचकर किया था कि उन्हें शीघ्र ही कोई नाती अथवा नतिनी मिल जाएगी.

किंतु शादी के इतने वर्षों के बाद भी वह अपने लिए नाती पोतों के लिए तरस रहे हैं. मुख्य वजह यह है कि बेटा और बहू अभी भी बच्चा पैदा करने के लिए तैयार नहीं हो पा रहे हैं.

ऐसे में याचिकाकर्ता यस आर प्रसाद ने कहा है कि यदि उनके बहू और बेटे 1 वर्ष के भीतर उन्हें पोता या पोती का सुख नहीं दे पाते हैं

तो दोनों ढाई-ढाई करोड़ रुपए यानि कुल 5 करोड़ रूपए का मुआवजा उन्हें चुकाएं. इस विषय में बुजुर्ग दंपत्ति का कहना है कि

उन्होंने अपने बेटे की शिक्षा तथा घर बनाने के लिए ब्याज पर बैंक से पैसे लिए जिसके कारण उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो चुकी है.

वह अपने बेटे को अमेरिका में रखकर ट्रेनिंग दिलवाए शिक्षा, दीक्षा कराई अब उनके पास कुछ भी पैसे नहीं हैं. आज उम्र के इस पड़ाव में उन्हें अकेले रहना पड़ रहा है जो अत्यंत ही कष्टदायक है.

 

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