वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद को हटाने के लिए कोर्ट में डाली गई दुबारा याचिका

प्राप्त जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में शिव भक्तों ने ज्ञानवापी मस्जिद को हटाने के लिए अदालत में प्रार्थना पत्र दिया है.

इसमें बताया गया है कि- “मुगल बादशाह औरंगजेब ने 1669 में काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में प्राचीन मंदिर को तोड़कर के इस मस्जिद का निर्माण कराया था.”

इस अर्जी का संज्ञान लेते हुए अदालत ने केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार, वाराणसी जिलाधिकारी, यूपी मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड, मासिक प्रबंधक और काशी विश्वनाथ मंदिर को नोटिस भेजा है जिसकी आने वाली 9 अप्रैल को सुनवाई की तारीख तय की गई है.

सत्यम त्रिपाठी, आशीष शुक्ला, पाठक जैसे शिव भक्तों ने यह अर्जी दाखिल करते हुए कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद की इमारत में देवी श्रृंगार गौरी सहित अन्य देवी-देवताओं के चित्र हैं,

Kashi Vishwanath Temple Gyanvapi Mosque Case Both monitoring petition will be heard together - काशी विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी मस्जिद प्रकरण: दोनों निगरानी याचिका की सुनवाई एक साथ होगीGyanwapi, Varansi

जो प्राचीन काल से हिंदू धर्मावलंबियों के लिए आराध्य माने जाते हैं. यह मुस्लिमों ने अवैध तरीके से मस्जिद का निर्माण करके कब्जा कर लिया है.

आपको बताते चलें कि याचिकाकर्ताओं ने स्कंद पुराण तथा प्राचीन अभिलेखों का साक्ष्य देकर बताया है कि काशी में पांच कोस के अविमुक्तेश्वर क्षेत्र में खुद शिवजी ने ज्योतिर्लिंग स्थापित किया था.

हालाँकि इसके जवाब में मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा है कि ज्ञानवापी मस्जिद सेंट्रल वक्फ बोर्ड की संपत्ति है, लिहाजा इसका मुकदमा वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल में चलना चाहिए.

यही वजह है कि इस तरह की याचिका को खारिज करने की भी अपील मुस्लिम पक्ष ने किया है. हिंदू याचिकाकर्ताओं ने संविधान के अनुच्छेद 25 का भी हवाला देकर कहा है कि-

“दर्शन-पूजन के मौलिक अधिकारों से हिंदुओं को कोई वंचित नहीं कर सकता है, इसलिए मस्जिद को हटाया जाए.”

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