वाराणसी: समाजसेवी, पर्यावरणविद्, हिंदू मुस्लिम एकता के पैरोकार पूर्वांचल गांधी कहे जाने वाले डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को
मजदूर दिवस के दिन सत्याग्रह करने के लिए पत्र लिखा है. उनकी मांग है कि हर उस सत्ता का पतन हो जाना चाहिए जो बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई पैदा करती हो.
नागरिकों का जीवन और उनकी स्वतंत्रता छीनती हो, चोरी, भ्रष्टाचार तथा नफरत फैलाकर जनता का वोट लेना चाहती हो.
इसके समापन के लिए इन्होंने गांधी के स्वराज, भगत सिंह के समाजवाद तथा अंबेडकर के संविधान को आधार बनाकर अपने संघर्ष का बिगुल फूंका है.
काशी की प्राचीनता को याद करते हुए बताया कि काशी का इतिहास ईसा पूर्व छठी सदी से ही देखने को मिलता है. यहीं सारनाथ में बुद्ध ने ‘मानव जाति’ को सत्य,
अहिंसा, बंधुत्व एवं शांति’ का उपदेश दिया था. बनारस राजा हरिश्चंद्र के ‘सत्य परीक्षा’ की भी नगरी है. कबीर, रैदास, तुलसी, प्रेमचंद, बिस्मिल्ला खान की नगरी है.
लगभग तीन हज़ार वर्षों से यहां मानव जाति एक साथ रहती है. यहां गंगा की अविरल धारा में हिंदू-मुस्लिम एक साथ डुबकी लगाते हैं.
किन्तु आज देश में चारों तरफ नफरत और साम्प्रदाईकता का माहौल बनता जा रहा है. इन्होंने प्रधानमंत्री से सीधे तौर पर पूछा है कि
‘सत्यम, शिवम, सुंदरम’ की नगरी वाराणसी ज्ञानवापी में नफरत की खाई किसने खोदी? नफरत की आग किसने लगाई? क्यों लगाई.?
नफरत मिटाना ही मेरा धर्म है क्योंकि यह बुद्ध, कबीर, रविदास, नानक, विवेकानंद, गांधी का देश है. किसी हिंदू या मुसलमान का नहीं.
मै ऐसी किसी भी सत्ता का पतन चाहता हूं जो बेरोजगारी, गरीबी, महंगाई पैदा करती है. हमारा जीवन, हमारी स्वतंत्रता हमसे छीनती है,
चोरी, भ्रष्टाचार करती है नफरत फैला कर वोट हासिल करती है. गांधी के स्वराज, भगत सिंह के ‘समाजवाद’ अंबेडकर का संविधान’ चाहता हूं.