उत्तर प्रदेश में पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमलों पर विफल हुई भाजपा सरकार के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का विवादित बयान राजनेताओं के संवेदनहीन व्यवहार को उजागर कर रहा है आप भी और ये सलाह सुन लीजिए.
लेकिन माननीय मंत्री जी नेता भी मारे जा रहे हैं और कल सदन में आपसे कोई नेता जब ये सवाल करेगा तो आप क्या कहेगे कि नेतागिरी छोड़कर पुलिसगिरी करो?
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उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में जिस तरह आठ पुलिस के जवान मारे गए, यदि इस संबंध में उनके परिवार वालों ने अगर सवाल किया तो आप क्या कहते पुलिसगिरी छोड़कर पत्रकार बनो…..
सोचने का विषय यह है कि आखिर ये नेता कब तक जनता को गुमराह करने का कार्य करते रहेंगें.? आपको यहाँ बताते चलें कि विगत अगस्त माह में लगभग 14 हत्याएं ही चुकी हैं
और प्रदेश की सरकार नागरिकों की सुरक्षा के विषय में अपना कोई स्पष्टीकरण नहीं दे सकी है. वर्तमान सन्दर्भ में उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था उस बुरे दौर से गुज़र रही है जहां न तो पत्रकार सुरक्षित हैं, न ही नेता और न ही पुलिस.
ऐसे में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का व्यवस्था में सुधार न लाने की बात करके क्या संदेश देना चाहते हैं, यह जनता को खुद तय करना चाहिए.