BY-रतनमणी डोभाल
अयोध्या के राजा श्री राम की जन्मभूमि का पुजारी कोरोना पॉजिटिव है. सर्व शक्तिमान राजा राम की जन्म भूमि की सुरक्षा में तैनात 16 पुलिसकर्मी भी कोरोना पॉजिटिव हैं. देश में कोरोना से मरने वालों की संख्या 36 हजार पहुंच गई है. ऐसे में कोई भी दिन शुभ कैसे हो सकता है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 5 अगस्त को ध्वस्त की गई बाबरी मस्जिद की भूमि पर राजा श्रीराम का घर (मंदिर) बनाने के लिए दलितों के हाथों बनी ईंट रखकर भूमि पूजन करना है.
यह अलग बात है कि जिन दलितों की पाथी ईंटों व तरासे पत्थरों से अयोध्या के राजा श्री राम का घर, मंदिर बनाया जाना है, उस राजा के घर में दलितों को आने-जाने की इजाजत दी जाएगी या नही?
उत्तर भारत में सर्वाधिक चर्चित परिचित हिंदुओं के जगद्गुरु शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती कह रहे हैं कि 5 अगस्त का दिन भूमि पूजन के लिए अशुभ है.
वह श्री राम जन्मभूमि के पुजारी और सुरक्षाकर्मियों का कोरोना पॉजिटिव होने को भी अशुभ घड़ी के रूप में देख रहे होंगे, लेकिन विध्वंसकारी हिंदू अपने शंकराचार्य की नहीं मानते हैं. राजनीतिक शंकराचार्य जो कह दें उसी की सुनते और मानते हैं.
जिनके राज में मृत दलित महिला के शव को उच्च जाति के सूरमा अपने श्मशान घाट पर जलाने न दें, लगी हुई चिता से उतरवा दें, बलात्कारी खुले घूमतें हों,
घर से उठाकर एनकाउंटर कराए जा रहे हों, सीमा पर सैनिकों की शहादत हो रही हो उसमें कोई भी दिन शुभ कैसे हो सकता है, यही तो रामराज्य है.
अशुभ तो तभी हो गया था जब सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद की भूमि पर राम मंदिर के पक्ष में फैसला दिया था, याद रहे यह फैसला था कोई न्याय नहीं, जिस पर अप्रत्याशित रूप से मुसलमानों ने सब्र किया.
अब मंदिर बनाने के लिए भूमि पूजन करने जा रहे हैं उस पर मुसलमानों को आपत्ति नहीं है. इसके बावजूद दलाल मीडिया के माध्यम से रात-दिन चर्चा कराकर उन्माद भड़काने का अभियान चलाया जा रहा है.
लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं हो रहा है इसको वह अपनी विफलता मान रहे हैं और एकतरफा बौखला रहें हैं. उनकी राजनीति की पिटाई हो रही है.
इसको हिंदुओं की मुसलमानों पर विजय के रूप में राष्ट्रीय मुद्दा बनाने का प्रयास किया जा रहा है. जिस न्यायालय ने बाबरी मस्जिद की जमीन पर राम मंदिर के पक्ष में फैसला दिया था,
उसी न्यायालय ने यह भी कहा था कि बाबरी मस्जिद विध्वंस अपराधिक घटना है लेकिन उस अपराधी घटना के दोषियों को अभी तक सजा नहीं मिली है.
विध्वंस के आरोपी अपने कारनामे को नकार रहे हैं, उन हिन्दू वीरों में इतना दम भी नहीं कि कह सकें कि हां हमने बाबरी मस्जिद विध्वंस की और कराई थी क्योंकि वह हमारे अराध्य राजाराम की जन्मभूमि पर थी.
विडंबना यह है कि रामजादों को सत्ता संभाले 7 साल हो गए हैं किन्तु अब भी उन्हें राजनीति के लिए मंदिर, मस्जिद, हिंदू, मुस्लिम, पाकिस्तान, आतंकवाद की ही जरूरत पड़ रही है.
5 अगस्त का दिन धर्मनिरपेक्ष भारत के लिए काला दिन (ब्लैक डे) है, इसी दिन जम्मू-कश्मीर राज्य को विध्वंस किया गया था. 5 अगस्त को एक साल हो रहा है, एक साल से धरती का जन्नत जहन्नुम बना हुआ है. सब कुछ चौपट कर दिया गया है. खेलने कूदने वाले बच्चों की पढ़ाई, लिखाई ठप है और घरों में कैद हैं.
दिल्ली अपने डर से 4जी तक चालू करने से डर रही है। कहा जा रहा है कि सब कुछ ठीक है और शांति स्थापित हो गई है. आतंकवादियों को अपना काम करने दिया जा रहा है. कोई दिन नहीं जाता जिस दिन बहुत कुछ छिपाने के बाद भी मरने मारने की खबर न आती हो.
लेकिन जो लोग वहां भारत की आवाज हैं उन्हें एक साल से कैदकर रखा हुआ है. इस काले दिन को ही अयोध्या के लिए चूना गया है इसलिए इसके गंभीर राजनीतिक मायने हैं.
(Disclaimer: ये लेखक के निजी विचार हैं)