BY- THE FIRE TEAM
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की अगुवाई वाली सरकार विधानसभा में एक एन्टी लिंचिंग बिल लाने की योजना बना रही है।
मसौदे के बिल में आजीवन कारावास और जुर्माने की अधिकतम सजा 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव रखा गया है।
पश्चिम बंगाल (प्रिवेंशन ऑफ लिंचिंग) विधेयक, 2019 को 30 अगस्त को सदन में पेश किए जाने की संभावना है।
ड्राफ्ट बिल में “धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, आहार-व्यवहार, यौन अभिविन्यास, राजनीतिक संबद्धता, जातीयता या किसी अन्य आधार” के आधार पर भीड़ द्वारा हिंसा को किसी भी प्रयास या हिंसा के रूप में वर्णित किया।
मसौदे में संभावित फ्लैशपोइंट पर स्थानीय खुफिया जानकारी के आवधिक मूल्यांकन के लिए एक नोडल अधिकारी की नियुक्ति निर्धारित की गई है।
साथ ही यह निर्देश दिया गया है कि लिंचिंग की घटनाओं की जांच एक अधिकारी द्वारा निरीक्षक के पद से नीचे नहीं की जानी चाहिए।
इसमें गवाह पीड़ितों के लिए गवाह सुरक्षा और मुआवजे का भी आह्वान किया गया है।
यह भी कहा गया है कि गवाहों को धमकियों, ज़बरदस्ती या उत्पीड़न के किसी भी आरोप को 24 घंटे के भीतर अदालत के नोटिस में लाया जाना चाहिए।
अभियुक्तों के साथ सहायता, रोकथाम या हस्तक्षेप करने का दोषी पाए जाने वालों को 1 लाख रुपये तक के जुर्माने के साथ तीन साल तक की कैद की सजा हो सकती है।
ऐसे लोगों के लिए जो किसी भी विधि से भौतिक सामग्री के प्रकाशन, संचार या प्रचार-प्रसार के जरिये हिंसा फैलाने का काम करेंगे उनके लिए अधिकतम एक साल जेल और 50,000 तक का जुर्माना है।
जो किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह के लिए शत्रुतापूर्ण वातावरण बनाते हैं या मॉब लिंचिंग करते हैं उनके लिए अधिकतम तीन साल की सजा और उन पर 1 लाख रुपये तक का जुर्माना प्रस्तावित है।
5 अगस्त को, राजस्थान विधानसभा ने मॉब लिंचिंग करने वालों को आजीवन कारावास और 1 लाख रुपये से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना देने वाला विधेयक पारित किया।
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