इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद को लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने बड़ा बयान दिया है. इस विषय में इमरान ने कहा है कि- “इस्लाम को मानने वालों में पैगंबर मोहम्मद को लेकर जो भावनाएं हैं उसके विषय में पश्चिमी देशों के लोगों को कोई जानकारी ही नहीं है.”
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में ईद-उल-मिलाद के मौके पर एक कांफ्रेंस के दौरान पाक प्रधानमंत्री ने अपना वक्तव्य रखा कि आज फ्रांस और मुस्लिम देशों के बीच जो तनाव बढ़ा है वह निश्चित तौर पर सोचनीय है.
मैंने इस्लामिक देशों के समूह में सभी से कहा कि पश्चिम में इस्लामोफोबिया बढ़ रहा है और इस समस्या के समाधान के लिए सभी मुस्लिम देशों को एक साथ आने और उस पर चर्चा करने की जरूरत है.
दरअसल, इस्लामोफोबिया के कारण सबसे अधिक वह लोग प्रभावित होते हैं जो किसी देश में मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी के हिस्से के रूप में रहते हैं.
अगर देखा जाए तो पश्चिमी देश इस्लाम, पैगंबर और मुसलमानों के संबंध को नहीं समझ सकते हैं. इसकी असल वजह यह है कि उनके पास वह किताबें नहीं हैं जो हमारे पास हैं.
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए इमरान ने कहा कि पश्चिमी देश संकीर्ण मानसिकता वाले हैं क्योंकि वे मानते हैं कि मुस्लिम अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ हैं और इसी के विरोध में वे कंपेन भी चला रहे हैं.
इसका सबसे बड़ा उदाहरण शार्ली अब्दो की घटना है जिसके आधार पर पश्चिमी देश मुसलमानों को बूरा दिखाना चाहते हैं. पश्चिमी देशों के संकीर्ण मानसिकता को बदलने के लिए इमरान ने कहा कि
कक्षा 9 से 12 तक के छात्रों के पाठ्यक्रम में वे इस्लाम के पैगंबरओं के बारे में जानकारी शामिल करने के लिए कानून लाएंगे ताकि छात्रों को भी सलाम की बेहतर समझ हो सके.
इसी संदर्भ में इन्होंने सभी प्रकार के फ्रांसीसी सामानों के बहिष्कार की अपील भी किया है ताकि फ्रांस की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया जा सके.