BY- THE FIRE TEAM
एक ऐसे समय में जब भारत फिर से आध्यात्मिकता, संस्कृति और मानवता में विश्व का अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है, सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की शक्ल देश को एक और अंधकार युग में ले जाती जाती दिखाई दे रहीं हैं।
एकतरफ बिहार में तीव्र इन्सेफेलाइटिस से बड़ी संख्या में बच्चों की मौत के मामले में अभी भी देश उभर नहीं पा रहा है, दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में भी चौकाने वाले मामले सामने आ रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्र हृदय विदारक और भयावह साबित हो रहे हैं खासतौर से उन मरीजों के लिए जो गरीब हैं और सस्ते उपचार की उम्मीद में सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में आते हैं।
उत्तर प्रदेश के स्थानीय डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों की ओर से हृदयहीनता का एक ऐसा मामला आज प्रकाश में आया।
जब एक गर्भवती महिला ने रुनकता प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (PHC) में भर्ती ना हो पाने के बाद सड़क पर एक लड़के को जन्म दिया।
ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि महिला का पति वहां की नर्स द्वारा मांगी गई रिश्वत का भुगतान नहीं कर सका।
आगरा प्रशासन के संज्ञान में लाए जाने के बाद मामले में कार्रवाई करते हुए, मुख्य चिकित्सा अधिकारी आगरा डॉ मुकेश वत्स ने कहा कि ड्यूटी नर्स सरिता सिंह की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं।
डॉ सुप्रिया जैन और फार्मासिस्ट सोनू गोयल जो पीएचसी केंद्र तैनात थे उन्हें वहां से हटा दिया गया है और जिला कार्यालय से जोड़ दिया गया है।
संबंधित डॉक्टर और फार्मासिस्ट के खिलाफ कार्रवाई के लिए सिफारिशों के साथ पूरी घटना की एक रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गई है।
इंडिया टुडे से बात करते हुए, आगरा के रनकटा क्षेत्र के लखनपुर गाँव की रहने वाली नैना देवी के पति श्याम सिंह ने कहा कि वह अपनी पत्नी को प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद सुबह 7 बजे पीएचसी ले आए थे।
पर वहां नर्स सरिता सिंह ने स्वास्थ्य केंद्र में अपनी पत्नी को भर्ती करने के लिए रिश्वत की मांग की।
जब उसने रिश्वत देने में असमर्थता जताई, क्योंकि उसके पास पैसे नहीं थे, तो उसे अपनी पत्नी के साथ पीएचसी से बाहर कर दिया गया।
उन्होंने नर्स से एम्बुलेंस को कॉल करने का अनुरोध किया ताकि वह अपनी पत्नी को जिला अस्पताल ले जा सके लेकिन उसने खुद काल ना करके उसे 102 पर कॉल करने और एम्बुलेंस का इंतजार करने के लिए कहा।
नर्स से तंग आकर, श्याम सिंह ने अपनी पत्नी के साथ PHC से 20 मीटर की दूरी तय की और वहीं सड़क पर कुछ स्थानीय महिलाओं की मदद से एक लड़के को जन्म दिया।
सामाजिक कार्यकर्ता विजय उपाध्याय ने उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर नाराज़गी व्यक्त की।
उन्होंनेकहा कि PHCs के कर्मचारियों को संवेदनशील बनाया जाना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के प्रयास किए जाने चाहिए कि डॉक्टर निजी ड्यूटी में व्यस्त रहने के बजाय अपने ड्यूटी स्टेशनों पर मौजूद रहें।
हिंदुस्तानी बिरादरी के वाइस-चेयरमैन विशाल शर्मा ने कहा कि प्रसव का समय एक महिला के लिए जीवन और मृत्यु का मामला है और स्वास्थ्य कर्मचारियों की ओर से कोई भी लापरवाही महिला या बच्चे या दोनों के लिए घातक साबित हो सकती है।
इस मामले में दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने एक महिला और उसके बच्चे के जीवन को अपने छोटे हितों के लिए अनदेखा किया है।
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