BY– Dr. Alka Singh
मानव संरचना का आधार स्त्री और स्त्रीत्व है।
इस सोच के दायरे और उनके सामाजिक,आर्थिक और राजनैतिक परिवेश में एक स्त्री का अस्तित्व, उसकी पहचान और क्षमता का उचित प्रयोग तभी संभव है जब उसे निर्णय लेने का अधिकार हो, उसके निर्णयों को समझा जाये और उसके स्वस्थ एवं बहुमुखी विकास के लिए सुविधाएँ और सम्बंधित आयाम उपलब्ध हों।
उन्हें बाईनेरी वेरिएबल की तरह न देख कर मेन स्ट्रीम में क्षमता को दर्शाने और उसके आकलन का मौका दिया जाये। डॉ अल्का सिंह द्वारा महिला मुद्दों से जुड़े विभिन्न शोध पत्र और पुस्तकें महिलाओं और गर्ल चाइल्ड से जुड़े मुद्दों को छात्रों, समाज तथा सरकार तक पहुँचाने के लिए एक प्रयास हैं। उन्होंने उत्तरआधुनिक संदर्भों में महिला और महिला अध्ययन को भली भांति इंगित किया है।
महिलायें सामाजिक और मानसिक बदलाव में निर्णायक — डॉ अल्का
उनका यह मानना है कि एक स्वस्थ महिला सामाजिक और मानसिक बदलाव में निर्णायक भूमिका निभा सकती है और इसी परिप्रेक्ष्य में उन्होंने मासिक धर्म से जुडी समस्याएं एवं मुफ्त सेनेटरी पैड के प्रस्ताव को प्राथमिकता देते हुए अपने कार्यों एवं विषयों में इन विषयों को इंगित किया है। ऊपरवर्णित विषयों समेत उन्होंने अन्य कई मुद्दों को शोध पत्रों एवं पुस्तकों के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अतर्राष्ट्रीय पटल पर प्रस्तुत कर विभिन्न सम्बंधित पक्षों का ध्यानाकर्षण किया है तथा इस दिशा में ठोस क्रियान्ययन की अपेक्षा की है।
यह हैं प्रकाशित पुस्तकें
पोस्टमॉडर्निज़्म , जेंडर रोल्स इन पोस्टमॉडर्न वर्ल्ड, पोस्टमॉडर्निज़्म, टेक्सट्स एंड कॉन्टेक्ट्स ,इश्यूज इन कैनेडियन लिटरेचर, वीमेन एम्पावरमेंट ,वीमेन : इश्यूज इन एक्सक्लूशन एंड इन्क्लूसिव, वीमेन सोसाइटी एंड कल्चर , तथा मासिक धर्म जैसे विषय पर प्रकाश्य कविता संग्रह इसके परिचायक हैं।
(डॉ अल्का सिंह वर्तमान में डॉ राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय लखनऊ में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। यह लेख तरुनमित्र पत्रिका से लिया गया है जिसका उद्देश्य जन जागरूकता फैलाना है )