‘विश्व एड्स दिवस- 2021’ पर क्यों पहनते हैं लाल रिबन? आप भी जानिए

पूरी दुनिया में प्रत्येक वर्ष 1 दिसंबर को लोगों के द्वारा विश्व एड्स दिवस के रूप में मनाया जाता है. एड्स (एक्वायर्ड इम्यूनोडिफिशिएंसी सिंड्रोम) वायरस के संक्रमण के कारण होने वाला रोग है.

पहली बार 1995 में विश्व एड्स दिवस की घोषणा संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ने आधिकारिक तौर पर किया था जिसे आज पूरी दुनिया में अनेक देश इसे एड्स दिवस के रूप में मना रहे हैं.

बता दें कि एड्स का वायरस मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली पर सीधे हमला करता है. इससे ग्रसित व्यक्ति छोटी-छोटी गंभीर बीमारियों से ग्रसित होने के कारण अपने प्राण त्यागने के लिए विवश हो जाता है.

यह एक संक्रामक बीमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित व्यक्ति के रक्त, वीर्य योनि तरल पदार्थ, स्तन के दूध में सीधे संपर्क के कारण आसानी से स्थानांतरित हो जाती है.

एड्स दिवस मनाने के पीछे मूल उद्देश्य होता है कि प्रभावी नीतियों तथा कार्यक्रमों के निर्माण के साथ स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत किया जाए तथा

लोगों के बीच एड्स की बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के अतिरिक्त कैसे अपने प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाया जाए? इस पर विस्तृत चर्चा की जाती है.

लोगों को एंटीरेट्रोवायरल दवाओं तथा अन्य वस्तुओं के विषय में भी जानकारी दी जाती है. एड्स संक्रमित रोगियों की संख्या को नियंत्रित करने के साथ

धार्मिक समूहों को निरोध के लिए प्रोत्साहित करना तथा एड्स पर विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन करके स्कूलों, विद्यालयों, विश्वविद्यालय सामाजिक संगठनों के माध्यम से लोगों का ज्ञानवर्धन करना.

एड्स दिवस पर लाल रिबन पहनने का महत्व: विश्व भर में लोग आज के दिन लाल रिबन पहनकर पीड़ित व्यक्तियों के प्रति अपने भावनात्मक एकता प्रदर्शित करते हैं.

लाल रिबन इस संक्रमित बीमारी से ग्रसित होकर अपनी जान गवाने वाले लोगों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करने का भी एक माध्यम है.

लोगों के द्वारा लाल रिबन पहनना इस विषय का भी सूचक है कि वे पीड़ितों से यह कोई भेदभाव न बरतें

रोगियों की सहायता के लिए जगह जगह कंप्लेनिंग चलाकर धनराशी चंदे के रूप में इकट्ठा की जाती है

 

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