अफगानिस्तान में जिस दिन से तालिबान ने सरकार बनाया है उसी दिन से देश का 2 वर्ग पत्रकार और महिलाएं अनेक प्रकार की अंतः समस्याओं से जूझ रहे हैं.
महिलाओं को इस बात का डर सता रहा है कि तालिबानी सरकार ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल में जगह ना देकर भविष्य में उन्हें फिर से चारदीवारी में कैद कर देगा
क्योंकि तालिबान के मंत्रिमंडल में बने मंत्री ने कहा भी कि महिलाएं सिर्फ बच्चा पैदा करने के लिए है उन्हें शासन चलाने की जरूरत नहीं है.
महिलाओं ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन शुरू किया तो उनकी रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों को तालिबानी लड़ाकों ने
पकड़ कर पीट-पीटकर अधमरा कर दिया, उनके फोन और कैमरा छीन लिए गए तथा हर तरह से उन्हें पत्रकारिता करने से रोका गया.
इस विषय में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट के सेक्रेटरी जनरल एंथनी बेलनागर ने बताया है कि तालिबानी शासन में पत्रकारिता का भविष्य अंधकार में है क्योंकि उनकी कथनी और करनी में बहुत अंतर रहता है.
तालिबानियों ने कहा था कि उनके द्वारा बनाए गए सरकार में समाज के सभी पक्षों को शामिल किया जाएगा किंतु
उन्होंने सरकार में महिलाओं को तो शामिल नहीं किया, इसके विपरीत महिला संबंधित मंत्रालयों को ही बंद कर दिया.
तालिबान ने बताया कि महिलाओं को शिक्षा और रोजगार से नहीं रोका जाएगा किंतु शिक्षण संस्थानों को महिलाओं और पुरुषों के बीच बांटकर
महिला छात्राओं को केवल महिला अध्यापक ही पढ़ाएंगी वहीं पुरुष छात्रों को पुरुषों के द्वारा ही शिक्षा दी जाएगी.
अब दिक्कत यह है कि महिलाओं को पढ़ाने के लिए न तो पर्याप्त जगह है और न ही इतनी महिला शिक्षिकाएं जिसके कारण इनकी पढ़ाई भी बंद कर दी गई.
जो महिलाएं रोजगार में थी उन्हें भी तालिबान शासन ने घर पर ही रहने को मजबूर कर दिया है. कुछ इसी तरह का नियंत्रण सोशल मीडिया पर भी है
जिसको प्रतिबंधित करके तालिबान मीडिया बनाने की बात की जा रही है जिसका मुख्य कार्य सिर्फ तालिबान से जुड़ी खबरों को ही दिखाना रहेगा.
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में इस समय लगभग 1300 पत्रकार हैं जिनमें से 220 महिलाएं तालिबानी लड़ाकों के क्रूरतापूर्ण व्यवहार को देखकर फिलहाल महिला पत्रकारिता ध्वस्त हो गई है.
अब इन पत्रकारों के पास दो ही विकल्प हैं या तो वे पत्रकारिता छोड़ दें या तो तालिबानी मीडिया में शामिल होकर उनका गुणगान करें.