उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान गंगा में तैरती लाशों को देखकर भले ही शवों को गंगा में प्रवाहित करने की परंपरा
कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया हो किंतु वास्तविक सच्चाई कुछ और ही है. इसका खुलासा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने
नेशनल क्लीन #Ganga मिशन के डीजी राजीव रंजन मिश्रा ने हाल ही में अपनी किताब लॉन्च की है. इसमें दूसरी लहर के दौरान गंगा में तैरते शवों के वाकये का जिक्र है.https://t.co/dozulV9c4c
— Quint Hindi (@QuintHindi) December 24, 2021
अपने लिखी पुस्तक में करते हुए बताया है कि- गंगा में प्रवाहित लाशें कोविड कुप्रबंधन का परिणाम हैं. इन्होंने आईडीएएस अधिकारी पुस्कल उपाध्याय के साथ मिलकर यह पुस्तक लिखा है.
इस पुस्तक का नाम गंगा: रिइमेजनिंग, रिजूवनेटिंग, रिकनेक्टिंग है. इसका एक प्रमुख अध्याय है-Floating corpes: A River Defiled जिसमें बताया गया है कि
कोरोना महामारी के दौरान जब मौतों की संख्या कई गुना बढ़ गई तथा श्मशान घाटों पर बढ़ती भीड़ के कारण उत्तर प्रदेश और बिहार के गंगा घाटों पर लोगों ने लाशों को नदी में फेंकना आसान समझा.
इस पुस्तक के माध्यम से यह भी बताया गया है कि सभी तटवर्ती राज्यों में खराब कोविड प्रबंधन का यह परिणाम है कि लोगों को अपने प्रियजनों की लाशें हिंदू परंपरा से हटकर निस्तारित करना पड़ा.
1987 बैच के तेलंगाना कैडर के आईएएस अधिकारी राजीव रंजन मिश्रा जो आने वाले वाली तारीख 31 दिसंबर, 2021 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.
यह पुस्तक वर्तमान उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ा सकती है.