भ्रष्टाचारियों के भ्रष्टाचार पर सरकार मेहरबान, जीरो टॉलरेंस की नीति दिख रही है बेबस

गोरखपुर: ‘उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग’ में अभियंताओं द्वारा प्रतिवर्ष अरबों-खरबों रुपए के किए जा रहे वित्तीय अनियमितता व आर्थिक अपराध के कारगुजारिओं में

महालेखाकार द्वारा तैनात खंडीय कार्यालयों के खंडीय लेखाधिकारियों की कुछ खास ही नजरें इनायत हैं वरना उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग के

भ्रष्ट अभियंता वित्तीय अनियमितता व आर्थिक अपराध करने की हिमाकत ना करते. ऐसे गंभीर मुद्दों पर प्रधान लेखाकार व मुख्य लेखा परीक्षक की

अब तक की खामोशी इस बात को बयां कर रही है कि प्रतिवर्ष अरबों-खरबों रुपए के संगठित कूट रचित कारित वित्तीय अनियमितता व आर्थिक अपराध में उनकी अहम भूमिका है.

यही कारण है कि उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग में विगत दशकों के प्रधान लेखाकार व मुख्य लेखा परीक्षक की वार्षिक लेखा परीक्षण रिपोर्ट में वर्णित कारित अपराधों की निरंकुश पुनरावृति जारी है.

ऐसा लगता है कि शासकीय तंत्र के संरक्षण में प्रधान लेखाकार, मुख्य लेखा परीक्षक व खंडीय कार्यालयों में तैनात खंडीय लेखा अधिकारियों के मिलीभगत से अभियंताओं के भ्रष्टाचार की एक संगठित टीम कार्यरत है.

इसके परिणाम स्वरूप किसी भी स्तर पर तैनात जिम्मेदार लोक सेवक ऐसे गंभीर मुद्दों पर वैधानिक कार्यवाही करने में लाचार और बीमार हैं.

तीसरी आंख मानवाधिकार संगठन के सत्याग्रही भ्रष्टाचार व भ्रष्टाचारियों के कारगुजारियों को उजागर करने के लिए विगत 343 दिनों से मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग गोरखपुर के कार्यालय पर धरनारत् हैं.

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित संगठन के संस्थापक महासचिव शैलेंद्र कुमार मिश्रा, अनूप शुक्ला, अशोक तिवारी दिवानी बार गोरखपुर, योगेन्द्र कुमार मिश्रा

एडवोकेट महामंत्री जिला कलक्ट्रेट बार एसोसिएशन, रमाकांत पांडे उर्फ राजू प्रदेश कार्यसमिति सदस्य उत्तर प्रदेश ठेकेदार संघ, आयुष पांडे, गिरजा शंकर नाथ, इत्यादि भारी संख्या में लोग उपस्थित रहे.

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