वर्ष 2002 के गुजरात राज्य में घटित गोधरा कांड देश का सबसे चर्चित दिल दहला देने दंगा था जिसमें हजारों लोगों को जान-माल की हानि उठानी पड़ी थी.
इसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 63 अन्य लोगों को दोषी बनाया गया था जिसके संबंध में एसआईटी गठित करके जाँच हुई थी.
किन्तु इस रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए इसके विरुद्ध कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने याचिका दायर की थी.
फिलहाल दिनेश माहेश्वरी तथा सिटी रवि कुमार की पीठ ने जाकिया जाफरी द्वारा दायर की गई याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि
“16 वर्षों पहले जो कानूनी लड़ाई की शुरुआत की गई थी वह कानून का दुरुपयोग करने के समान है. अपने 452 पन्नों के फैसले में जांच रिपोर्ट की तारीफ करते हुए बताया है कि
“अदालत द्वारा गठित एसआईटी ने 2012 में सही ढंग से जांच करने के बाद अपनी राय बनाई है.
कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि प्रशासन के कुछ अधिकारियों की निष्क्रियता असफलता को राज्य सरकार द्वारा अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की
पूर्व नियोजित साजिश का आधार नहीं माना जा सकता है इसे अल्पसंख्यकों के विरुद्ध राज्य प्रायोजित हिंसा भी नहीं कहा जा सकता है.
इस फैसले के बाद अलग-अलग प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है. जैसे भाजपा के राष्ट्रीय सचिव वाई सत्या कुमार ने दावा किया है कि-
“कांग्रेस द्वारा मोदी की छवि को धूमिल करने का अंतिम प्रयास भी औंधे मुंह गिरा है तथा न्याय की जीत हुई है.”
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि-“सत्यमेव जयते.” इसी तरह का ट्वीट भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी किया है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी बताया है कि-“प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नफरत के नाम पर उद्योग चलाने वालों को अदालत से करारा जवाब मिल चुका है. कांग्रेस ने मोदी जी को बदनाम करने के जितने भी आरोप लगाए सब निराधार निकले.”