मिली जानकारी के मुताबिक कर्नाटक राज्य के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के शैक्षिक ढांचे में मनुस्मृति को शामिल करने का रास्ता साफ हो गया है.
इस संदर्भ में ‘नवीन शिक्षा नीति’ के अंतर्गत टास्क फोर्स का गठन किया गया था जिसने सिलेबस में मनुस्मृति को शामिल करने की अनुशंसा किया था.
इसके अतिरिक्त गणित से जुड़ी देशीय पद्धति को बढ़ावा देने, गुरुत्वाकर्षण और पाइथागोरस के नियमों की जड़ें भी वैदिक गणित में जोड़कर बताने के साथ इसका समर्थन किया गया था.
हालांकि इस संपूर्ण मामले में कांग्रेस ने भाजपा की इन कोशिशों को शिक्षा के भगवा- करण करने का आरोप लगाया है.
आपको यहां बता दें कि भाजपा ने सदैव वर्तमान शैक्षिक पद्धति में शामिल पाठ्यक्रम की आलोचना करते हुए कहा है कि
मैकाले की विदेशी जड़ों से जुड़ी आज की भारतीय शिक्षा ने लोगों को अपनी जड़ों से दूर कर दिया है.
वास्तविकता यह है कि भारत को अपनी मातृ संस्था तथा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा स्थापित गुरुकुल परंपरा को स्थापित करने की जरूरत है.
ध्यातव्य है कि टास्क फोर्स ने मनुस्मृति की आलोचना करने वालों के विषय में कहा है कि यह लोग मनुस्मृति में दिए गए श्लाकों को दिए गए क्रम में ना पढ़कर इधर-उधर से पढ़ते हैं जिसके कारण सवाल उठते हैं.
कर्नाटक के स्कूली पाठ्यक्रम में मनुस्मृति को शामिल करने का प्रस्ताव, कांग्रेस बोली- ये शिक्षा का भगवाकरण https://t.co/zcvtXGRbvc
— Media (@aajtakorg) July 13, 2022
जरूरत इस तथ्य की है कि मनुस्मृति में जो ग्रहण करने लायक है उसे अपनाएं, अप्रसांगिक तथ्यों को छोड़ा जा सकता है.
बेवजह विवाद खड़ा करने से कोई फायदा नहीं होगा. हमें एक कभी नहीं भूलना चाहिए कि ज्योतिष जैसे विषय को भी
विज्ञान से जोड़कर हमारे ऋषि-मुनियों ने ज्योतिष विज्ञान को जन्म दिया था जिसकी स्वीकार्यता विश्व स्तर पर है.
इतना ही नहीं टास्क फोर्स ने देश की प्राचीन अंक प्रणाली जैसे कि भूत सांख्य तथा कटापयदि संख्या पद्धति इत्यादि को भी शामिल करने पर जोर दिया है.
फ़िलहाल टास्क फोर्स के इस अनुशंसा ने राजनीतिक गलियारों में एक नई बहस छेड़ दी है. यह बार-बार प्रश्न उठाए जा रहे हैं कि
क्या हम हजारों वर्षों पीछे जाकर फिर से अपनी पुरानी जड़ व्यवस्था को पुनर्जीवित करना चाहते हैं.?
क्या वैश्विक स्तर पर जो आर्थिक एवं वैज्ञानिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं हम उससे तादात्म्य स्थापित कर पाएंगे.?