22 जनवरी को अयोध्या में होने जा रही श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा पर उठा प्रश्न?

जनता भूख और कुपोषण से मरणासन्न है और अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा का जश्न मनाया जा रहा है. दुनिया के स्वतंत्र विकासशील देश क्वाण्टम विज्ञान पर

आधारित नयी-नयी तकनीकों की खोज कर रहे हैं और हमारा देश क्वाण्टम विज्ञान के इस युग में ये क्या कर रहा है, फिर भी विश्वगुरू होने का घमण्ड पाले बैठे हैं.

दुनिया विश्वगुरू जी को पीछे ढकेलती जा रही है, इधर विश्वगुरू जी रामलला की मूर्ति में जान डाल रहे हैं. सारे पड़ोसी देश आँखें दिखा रहे हैं और इस पर थेथरई देखिए कि विश्वगुरुजी अपना डंका खुद ही बजा रहे हैं.

गुरूजी वैश्विक सूचकांक 2023 में कहाँ हैं-सबसे पहले इसे देख लीजिए– चुनावी लोकतंत्र में 108वें स्थान पर हैं, अशान्ति के मामले में बहुत पीछे 126 वें नम्बर पर

जबकि आतंकवाद के मामले में बहुत आगे बढ़कर 13वें नंम्बर पर, प्रेस की स्वतंत्रता में बहुत पीछे 161वें स्थान पर बैठे हैं,

पासपोर्ट सूचकांक में 144वें स्थान पर, विश्वखुशहाली मामले में 126वें स्थान पर, समावेशिता सूचकांक में 117 वें पायदान पर.

इनोवेशन में 40वें स्थान पर, मगर जनसंख्या में पहले स्थान पर. जीडीपी के मामले में पाँचवें नम्बर पर दिख रहे हैं, मगर विदेशी लोग अपना कर्ज वापस मांग लें तो दीवालिया हो जायेंगे. 

विदेशी तकनीकें हटा दीजिए तो पुष्पक विमान से ही उड़ना पड़ेगा, इतने पिछड़े हुए देश में मूर्ति में लगातार 22 दिन तक प्राण-प्रतिष्ठा का जश्न मनाने की बात हो रही है.

क्या होती है मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा?

सनातन धर्म में प्राण प्रतिष्ठा मूर्ति स्थापना के समय किया जाता है. प्रतिमा रूप को जीवित करने की विधि प्राण प्रतिष्ठा कहलाती है.

प्राण का अर्थ जीवन शक्ति तथा प्रतिष्ठा का अर्थ स्थापना होता है-यानी जीवन शक्ति की स्थापना करना या देवता को जीवन में लाना.

इसके बिना कोई भी मूर्ति पूजा के योग्य नहीं मानी जाती है. ऐसी मान्यता है की प्राण प्रतिष्ठा के जरिए मूर्ति में जीवन शक्ति का संचार होता है और वह मूर्ति देवता के रूप में बदल जाती है.

कैसे की जाती है प्राण प्रतिष्ठा?

इसके लिए सबसे पहले प्रतिमा को गंगाजल या किसी भी पवित्र नदी के जल से स्नान कराकर उसे स्वच्छ वस्त्र से पोछ कर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं.

प्रतिमा को शुद्ध तथा स्वच्छ स्थान पर विराजित करने के बाद उस पर चंदन का लेप लगाकर मूर्ति का श्रृंगार किया जाता है.

इसके बाद वेद मंत्रों का पाठ करके प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान संपन्न होता है तथा अंत में आरती के बाद लोगों में प्रसाद वितरित कर दिया जाता है.

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