परिस्थितियों को स्वयं के संकल्पों से परिवर्तन करने की कला सिखा गयीं बी० के० शिवानी दीदी

  • घर में बच्चों की पढाई करने पर ध्यान दें, नंबर और इक्जाम के प्रेशर से बच्चों को बचायें
  • माँ-बाप बच्चों को खुशी का वातावरण दें तभी उनमें संस्कार विकसित होगा 

गोरखपुर: खुशियों का पासवर्ड लेने तथा अपने जीवन में आत्मा के असीम सुख और शान्ति के संस्कार धारण करने के उद्देश्य से

हजारों की संख्या में श्रोता सैयद मोदी रेलवे स्टेडियम पहुँचे. दीप प्रज्जवलन के बाद अन्तरराष्ट्रीय वक्ता तथा मोटिवेशनल स्पीकर बी.के. शिवानी दीदी ने अपना उद्बोधन प्रारंभ किया.

इन्होनें कहा कि जिस शहर से श्रीमद्भगवत गीता छपती है वह शहर ही स्वर्णिम भारत का उदाहरण बने. हर व्यक्ति की खुशी स्थायी और निरंतर बनाने का

संस्कार बनाने के लिए दीदी जी ने संकल्पों की लिस्ट प्रदान की जिसमें मै शक्तिशाली आत्मा हूँ. मैं सदा शांत हूँ, मै हमेशा खुश हूँ,

मै परमात्मा की संतान दुख हर्ता, सुख कर्ता आत्मा हूँ, सत्युगी आत्मा हूँ, मेरा शरीर निरोगी कंचन काया है. ये सभी संकल्प रोज करने से हर एक के जीवन में स्वतः ही परिवर्तन प्रारंभ होगा.

दीदी ने बताया कि चिंता चिता समान है. चिंता करने से आत्मा की बैटरी डिस्चार्ज होती है. आत्मा की बैटरी चार्ज करने के लिए सबका शुक्रिया करना है.

शिकायत को अपने जीवन में कम करते हुए सबका शुकिया करना है. अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए रात को सोने के पहले

जरूर परमात्मा को याद करके सोयें तथा कोई भी नकारात्मक टी०वी० सीरियल या बाते न करें.  भोजन में पवित्रता लायें. सात्विक भोजन से ही स्वर्णिम भारत बनेगा क्योंकि जैसा अन्न पैसा मन.

इस कार्यक्रम में गोरखपुर सदर सांसद रवि किशन, विधायक सहजनवा प्रदीप शुक्ला, डॉ0 धरमेन्द्र सिंह, उपाध्यक्ष भाजपा, उ०प्र०, पुष्पदंत जैन, दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री,

डॉ0 मंगलेश श्रीवास्तव, महापौर, गोरखपुर, कुंवर स्कंद सिंह, अतुल शराफ, अनुज शराफ, संस्था के जोन से आये बी०के०दीपेन्द्र, एवं मुख्यालय से आये बी०के०कोमल सहित ढेरों गणमान्य उपस्थित रहे.

गोरखपुर की बी० के० पारूल बहन ने आए हुए सभी का स्वागत करते हुए हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया. इसके साथ ही सभी श्रोताओं को राजयोग मेडिटेशन कराकर

असीम शांति का अनुभव कराया तथा 16 से 18 मार्च तक निःशुल्क राजयोग मेडिटेशन सीखने के लिए स्थानीय ब्र‌ह्माकुमारी सेंटर पर आने का निमंत्रण दिया.

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