BY–THE FIRE TEAM
दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों-अल्पसंख्यकों की गोलबंदी खड़ा करेगी मजबूत प्रतिरोध- महापंचायत
महापंचायत ने 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ जारी राष्ट्रव्यापी आंदोलन से किया एकजुटता का इजहार
सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार के बैनर तले संविधान व दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों के आरक्षण पर बढ़ते हमले के खिलाफ सामाजिक न्याय के मुद्दों पर 27जनवरी को पटना के गर्दनीबाग में दलितों-आदिवासियों-अतिपिछड़ों-पिछड़ों का महापंचायत आयोजित हुआ।
महापंचायत में राज्य के विभिन्न हिस्सों से सामाजिक न्याय के लिए संघर्षरत सैकड़ों सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं,छात्रों व बुद्धिजीवियों ने भागीदारी की ।महापंचायत में रिहाई मंच(यूपी) और झारखंड जनतांत्रिक महासभा के नेताओं ने भी भागीदारी की ।
इस मौके पर सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार के कोर कमिटी सदस्य हरिकेश्वर राम ने कहा कि सवर्ण आरक्षण लागू करने के जरिए नरेन्द्र मोदी सरकार ने संविधान के मूल संरचना पर हमला किया है। सामाजिक न्याय व आरक्षण की अवधरणा पर चोट किया है. इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इस बड़े हमले का निर्णायक प्रतिरोध होना चाहिए।
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि सत्ता-शासन की संस्थाओं व विभिन्न क्षेत्रों में सवर्णों का प्रतिनिधित्व पहले से ही आबादी के अनुपात से कई गुना ज्यादा है। फिर भी सवर्णों को आरक्षण दिया जा रहा है।सवर्ण आरक्षण के जरिए दलितों-आदिवासियों-पिछड़ों के प्रतिनिधित्व और आरक्षण पर बड़ा हमला बोला गया है।
जेएनयू में सामाजिक न्याय के संघर्ष और झारखंड जनतांत्रिक महासभा के नेता वीरेन्द्र कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति में विभागवार 13 प्वाइंट रोस्टर सवर्ण आरक्षण के बाद बहुजनों पर दूसरा बड़ा हमला है।13 प्वाइंट रोस्टर के जरिए उच्च शिक्षा केन्द्र से बहुजनों को बेदखल करने की मनुवादी साजिश आगे बढ़ रही है। 13 प्वाइंट रोस्टर में आदिवासियों के लिए कोई जगह ही नहीं है।
सामाजिक न्याय आंदोलन, बिहार के कोर कमिटी सदस्य रिंकु यादव ने कहा कि सवर्ण आरक्षण के मसले पर बहुजन राजनीतिक धाराओं व राजनेताओं का मनुवाद से यारी और सामाजिक न्याय से गद्दारी खुलकर सामने आ गया है। ऐसी स्थिति में बहुजन समाज को सड़कों पर आना ही होगा। सामाजिक-राजनीतिक दावेदारी को बुलंद करना होगा।
यूपी के वरिष्ठ राजनीतिकर्मी बलवंत यादव ने कहा कि मनुवादी हमले और सवर्ण वर्चस्व के खिलाफ नये दौर में नये सिरे से बहुजन एकता और सामाजिक न्याय आंदोलन को गढ़ने की चुनौती को कबूल करना ही होगा।
संविधान को पलटकर सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने और 13 प्वाइंट रोस्टर के खिलाफ दलितों-आदिवासियों-अतिपिछड़ों-पिछड़ों को संख्यानुपात में प्रतिनिधित्व की गारंटी के लिए 50 प्रतिशत की आरक्षण सीमा को बढ़ाकर 69 प्रतिशत करने, दलितों-आदिवासियों-अतिपिछड़ों-पिछड़ों को न्यायपालिका व अन्य क्षेत्र सहित निजी क्षेत्र में आरक्षण देने, जाति-जनगणना कराने सहित अन्य सवालों पर आंदोलन तेज करने का एलान हुआ।
महापंचायत की अध्यक्षता विष्णुदेव मोची और संचालन बाल्मिकी प्रसाद ने किया। महापंचायत को प्रमुख तौर पर गौतम कुमार प्रीतम, अंजनी, केदार पासवान, आजाद कुमार, रामानंद पासवान, रामप्रवेश राम, पूर्व विधायक एनके नंदा, केडी यादव, राकेश चंद्रवंशी, जमशेद आलम, योगेन्द्र पासवान, बाबुलाल मांझी, गिरिजाधारी, अमीष कुमार चंदन, सूरज यादव, सौरभ, जितेन्द्र, अभिषेक आनंद, मिथिलेश विश्वास, विभूति, सोनम, संजीव, विभाष दास, कबीर राज ने संबोधित किया।