अमेठी: विगत एक माह से सोशल मीडिया पर छाए रहने वाले सारस और आरिफ की दोस्ती का अंत होता दिख रहा है.
घायल अवस्था में मिले सारस पक्षी को प्राथमिक चिकित्सा देने वाले आरिफ के बीच इस कदर बॉन्डिंग बनी कि दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रह पा रहे थे.
जब राष्ट्रीय स्तर की मीडिया ने आरिफ का इंटरव्यू लिया तो यह और सुर्खियों में आ गए. इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश के
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जब अमेठी आए तो खुद आरिफ के गांव मुंडखा जाकर मुलाकात किया. यह सब कुछ चल ही रहा था कि प्रभागीय वन अधिकारी अमेठी
डी एन सिंह के प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने उत्तर प्रदेश को पत्र लिखकर सारस को उसके प्राकृतिक आवास में छोड़े जाने की अनुमति मांगी थी.
आपको यहाँ बताते चलें कि सारस उत्तर प्रदेश का राजकीय पक्षी है. ऐसे में इसे किसी एक व्यक्ति के पास रखना उचित नहीं था.
फिलहाल इस पक्षी को समसपुर पक्षी विहार में शिफ्ट कर दिया गया है. इसका संज्ञान लेते हुए भूतपूर्व सीएम अखिलेश यादव ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि
वन विभाग की टीम उप्र के राजकीय पक्षी सारस को तो स्वतंत्र करने के नाम पर उसकी सेवा करनेवाले से दूर ले गयी, देखना ये है कि राष्ट्रीय पक्षी मोर को दाना खिलानेवालों से स्वतंत्र करने के लिए क्या कार्रवाई की जाती है। pic.twitter.com/S52HgEjWnV
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) March 21, 2023
“वन विभाग की टीम उत्तर प्रदेश के राजकीय पक्षी सारस को स्वतंत्र कराने के नाम पर उसे उसकी सेवा करने वाले से दूर ले गई.”
अब देखना यह है कि राष्ट्रीय पक्षी मोर को दाना खिलाने वालों से स्वतंत्र करने के लिए कोई कार्यवाही की जाती है या नहीं.
इस कार्यवाही पर कई लोगों ने टिप्पणी करते हुए लिखा है कि एक बेजुबान और इंसान की जोड़ी उत्तर प्रदेश के शासन प्रशासन को रास नहीं आई, उनको जुदा करने के लिए वन विभाग की टीम भेज दिया.
फिलहाल इस कार्यवाही का क्या परिणाम होता है यह तो आने वाला समय बताएगा.? किंतु इतना जरूर है कि वन विभाग द्वारा सारस पक्षी को आरिफ से छीन लेना कई सवाल खड़े करता है.