- सावित्रीबाई फुले के जीवन संघर्ष पर हुआ नाट्य मंचन, पेंटिंग, क्वीज व नृत्य में सैंकड़ो छात्र-छात्राओं ने लिया भाग
रॉयल सेंट्रल स्कूल, मिल्की, बिहपुर में प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के जन दिवस के मौके पर कार्यक्रम आयोजित हुए.
इसमें मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. विलक्षण बौद्ध, बिहपुर बीडीओ सत्यनारायण पंडित व रामानन्द पासवान आए जिन्होंने सभी प्रतिभागी छात्रों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.
इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ. विलक्षण बौद्ध ने कहा कि-“राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले ने आधुनिक भारत में महिलाओं की शिक्षा की नींव रखने का काम किया.
वह ऊंच-नीच, छुआछूत एवं लिंग विभेद के खिलाफ जीवन भर संघर्ष करने वाली अदम्य योद्धा व समाज सुधारक थीं.”
बीडीओ सत्यनारायण पंडित ने बताया कि 01जनवरी, 1848 ई. में ज्योतिबा फुले ने आधुनिक भारत में प्रथम कन्या विद्यालय की स्थापना किया जहाँ प्रथम छात्रा सावित्रीबाई फुले बनी थीं.
बताते चलें कि सावित्रीबाई फुले शिक्षण और प्रशिक्षण प्राप्त करके आधुनिक भारत की प्रथम शिक्षिका बनीं. महिला शिक्षा विरोधी मनुवादियों के अपमान व विरोध से जूझते हुए उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा हासिल करने का रास्ता खोला.
स्कूल के निदेशक राजीव कुमार राॅय व सामाजिक न्याय आन्दोलन (बिहार) के रामानन्द पासवान ने कहा कि आज के माहौल में यह भी याद किया जाना
महत्वपूर्ण है कि महिलाओं को शिक्षित करने के मुहिम में सावित्रीबाई फुले का साथ मुस्लिम समाज से प्रथम शिक्षिका बनीं फातिमा शेख ने दिया था.
राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के संस्थापक सह सामाजिक न्याय आंदोलन, पूर्वी के संयोजक गौतम कुमार प्रीतम ने कहा कि आज फिर से वंचितों-महिलाओं के लिए
शिक्षा का दरवाजा बंद करने की साजिश हो रही है, सरकारी स्कूल-कॉलेज-विश्विद्यालय बंद किए जा रहे हैं. शिक्षा को महंगा किया जा रहा है.
भारत में समता, स्वतंत्रता, भाईचारा और न्याय की स्थापना के लिए चलने वाले संघर्षों को तेज करके ही सावित्रीबाई फुले को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है.
वक्ताओं में निर्भय कुमार, नसीब रविदास, पृथ्वी शर्मा, राजेश पंडित, अशोक अंबेडकर, प्रीति किरण, खुशी राॅय थे.
कार्यक्रम रॉयल सेंट्रल स्कूल, मिल्की, बिहपुर में हुआ जिसकी अध्यक्षता राजीव कुमार राॅय ने जबकि संचालन बिनोद कुमार ने किया.
कार्यक्रम का उद्घाटन सावित्रीबाई फुले के तैलीयचित्र के सामने कैंडल जलाकर व पुष्प अर्पित कर किया गया, तत्पश्चात भारतीय संविधान की प्रस्तावना से हुई.
प्रस्तावना को अंग्रेजी में सिद्धार्थ गौतम वर्ग चार व हिन्दी में विराट रॉय वर्ग पांच ने पढ़ा. गुल्ली ब्याय के कलाकार ने नाटक के माध्यम से सावित्रीबाई फुले व ज्योतिबा फुले के जीवन संघर्ष को दिखाया.