अब टमाटर-मुक्त भारत! व्यंग्य: राजेंद्र शर्मा

इस बार टमाटर ने भी अपने नखरे दिखा ही दिए. अब तक अक्सर कभी आलू, तो कभी प्याज के नखरे ही सरकारों को सिरदर्द देते रहे थे. सुना है कि कोई जमाना तो ऐसा भी था जब आलू-प्याज के नखरों के चलते, सरकारें तक बदल जाया करती थीं. लेकिन, टमाटर ने कभी ऐसा तगड़ा नखरा … Read more

‘छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन’ से जुड़े संगठनों ने आदिवासी मुद्दों, पेसा व वनाधिकारों पर किया विमर्श

रायपुर: ‘छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन’ से जुड़े विभिन्न जन संगठनों द्वारा वन अधिकार कानून, पेसा, खनन, आदिवासी अधिकार, भूमि अधिग्रहण तथा सामाजिक न्याय से जुड़े अनेक मुद्दों पर छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री टी एस सिंहदेव से विस्तार से चर्चा की गई. इस चर्चा में इन संगठनों द्वारा विशेष रूप से वन अधिकार के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए … Read more

एक योद्धा सन्यासी जिसने किसानों के ऊपर से सामन्तवाद का बोझ उतारने के लिए अपना जीवन कर दिया कुर्बान

स्वामी सहजान्द सरस्वती एक ऐसे योद्धा सन्यासी का नाम है जिन्होंने किसानों के ऊपर से सामन्तवाद का बोझ उतारने के लिए अपना जीवन कुर्बान कर दिया. मगर आज तीन करोड़ साधू भारत के मजदूरों, किसानों पर बोझ बने हुए हैं. वे काम नहीं करते मगर सबसे अच्छा पौष्टिक भोजन करते हैं.  वे मजदूरों, किसानों को … Read more

कड़वा है मगर सच बताएंगे तो बहुत लोगों की भावनाएं आहत होंगी…

कौन सी दिशा में बढ़ने को प्रगति कहना चाहिए, इसका कोई पैमाना नहीं है क्योंकि समय के साथ बहुत चीजों के मायने बदल जाते हैं. मसलन गाँवों का शहरों में परिवर्तित हो जाना, पैरों तले मिट्टी की जगह सीमेंट का या जाना, खेतों में फसलों की जगह इमारतों का उगना, इंसानों का इंसानों के साथ … Read more

जैड प्लस सुरक्षा में डैमोक्रेसी (व्यंग्य: राजेन्द्र शर्मा)

किसी ने सच ही कहा है- सब को कोई संतुष्ट नहीं कर सकता है. मोदी जी के विरोधियों को संतुष्ट करना तो और भी मुश्किल बल्कि नामुमकिन ही है. बताइए! पहले रात-दिन इसकी शिकायत करते थे कि मोदी जी प्रेस का सामना क्यों नहीं करते हैं. नौ साल हो गए, मोदी जी ने एक बार … Read more

जिनके आदिपुरुष ही दादा कोंडके हैं, उनके रूप को नहीं, सार को निहारिये PART-2

ये खुशनसीब थे, जो बचा लिए गए- शुकुल जी के साथ यह नहीं हुआ क्योंकि वे खुद तय करके कुनबे में दाखिल हो गए, तो अब कोई करता भी, तो क्या करता? बहरहाल, लोग शुकुल जी के लिए नहीं बल्कि इसलिए परेशान हैं कि इसने अपने बोल बिगाड़े सो बिगाड़े, बजरंगबली हनुमान के भी बिगाड़ … Read more

जिनके आदिपुरुष ही दादा कोंडके हैं, उनके रूप को नहीं, सार को निहारिये part-1

पिछले शुक्रवार 16 जून को रिलीज हुयी 600 करोड़ की फिल्म “आदि पुरुष” के टपोरी संवादों पर हिंदी भाषी भारत में हुयी चर्चा, उन पर आई प्रतिक्रियाओं के दो आयाम हैं. एक आयाम आश्वस्ति देता है और वह यह कि अभी, बावजूद सब कुछ के, भाषा के प्रति संवेदनशीलता और विवेक बचा हुआ है. आम … Read more

मणिपुर विशेष: उत्तर–पूर्व के बारूद में ‘हिन्दुत्व’ की माचिस

मणिपुर को जलते हुए इन पंक्तियों के लिखे जाने तक छह हफ्ते हो चुके हैं. पर हैरानी की बात नहीं है कि शाह का चार दिनी दौरा भी भाजपाई मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रशासन पर आम जनता का, खास तौर पर आदिवासी अल्पसंख्यकों‚ जो मुख्यमंत्री तथा पुलिस और अन्य रक्षा बलों पर बहुसंख्यक मेइती अतिवादियों … Read more

महंगाई एक क्राइम है जो टैक्स वृद्धि के कारण पैदा हुई है: पूर्वांचल गाँधी डॉ सम्पूर्णानन्द मल्ल

करारोपण ‘शोषण’ का वह तरीका है जो गरीबों के पेट पर हमला करता है, कुपोषित करता है, जीवन छीन लेता है आज देश भले ही आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है किंतु ‘महंगाई’ ने लोगों का जीवन त्रस्त कर रखा है. इस संदर्भ में पूर्वांचल के गांधी कहे जाने वाले डॉ संपूर्णानंद मल्ल ने … Read more

धर्म, राजनीति और मुसलमान का समीकरण…

धर्म को राजनीति में घुसा देने पर धर्म, धर्म नहीं रह जाता वह भी राजनीति हो जाता है. आरएसएस धर्म को राजनीति में घुसा रहा है. वह यही चाहता है कि मुसलमान भी धर्म की राजनीति करें. RSS अपनी बनायी पिच पर खेलने के लिए मुसलमानों को भी खींचकर लाना चाहता है. इसके लिए आरएसएस … Read more

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