गोरखपुर: शनिवार से शुरू होने वाले दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद के उर्स और मेले को लेकर लोगों के मिलने का जो सिलसिला शुरू हुआ वो आज तक बिना थमे चल रहा है.
बता दें कि लगभग एक हज़ार साल से यहाँ उर्स मनाया जा रहा है और मेला लगता है. इस उर्स के मेले को और भी खास बनाती है यहां स्थित मुंशी प्रेमचंद वाली ईदगाह.
इसी ईदगाह के पास लगे दरगाह के उर्स वाले मेले को देखकर उन्होंने अपनी कालजयी रचना ‘ईदगाह’ लिखी जिसका मुख्य पात्र हामिद आज भी लोगों के जेहन में ताजा है.
आपको बता दें कि लगातार आला अफसरों से प्राचीन दरगाह मुबारक खां शहीद के उर्स और मेले की तैयारियों और दूर दराज़ से आने वाले
श्रद्धालुओं की सुविधाओं के लिए सड़क, नाली और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की मांग विभिन्न संगठनों और दरगाह कमेटियों द्वारा की गई थी.
शनिवार को शुरू होने वाले दरगाह के उर्स और मेले में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों जैसे बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र तथा पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के लोग शामिल हो रहे हैं.
कोरोना की वजह से लगातर दो साल तक स्थगित रहने वाले उर्स और मेले से श्रद्धालु इस बार सीएम योगी के शहर में स्थित इस दरगाह से
विकास की वो तस्वीर लेकर अपने अपने शहरों को लौटेंगे जिसमें चिप्पी से सड़क मरम्मत वाला दृश्य शामिल रहेगा.
अदब के इस मुकाम (दरगाह) की खासियत यह है कि इस उर्स और यहाँ लगने वाले मेले में सिर्फ मुसलमान ही शामिल नही होते बल्कि एक बड़ी संख्या में अलग-अलग मज़हब के मानने वालों की आमद होती है.
ऐसे में यहाँ की व्यवस्था और चिप्पी लगे ऊबड़-खाबड़ रास्ते श्रद्धालुओं के मन- मस्तिष्क को कितना प्रभावित करेंगे ये सोचने वाली बात है.
कुल मिलाकर कहा जाए तो सीएम के शहर में दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तैयार है चिप्पी लगी दरगाह वाली सड़क.