राम राज्य वाली सरकार सुप्रीम कोर्ट के 1982 के पुरानी पेंशन के स्पष्टीकरण की कर रही अवहेलना

पुरानी पेंशन बहाली को लेकर अनेक विभागों के राज्य कर्मचारियों ने मुखरता से इसके बहाली को लेकर मांग किया है. इस संबंध में अशोक पांडेय ने कहा कि

“ये बड़ा दुखद है कि राम राज्य की सरकार, सबका साथ, सबका विकास करने वाली सरकार माननीय उच्चतम न्यायालय के पुरानी पेंशन को लेकर दिए गए

फैसले की अवहेलना कर कर्मचारियों के लिए अहितकर फैसला कर रही है. सरकार के इस फैसले से कर्मचारियों एवम उनके आश्रितों का भविष्य अंधकारमय हो गया है.”

अतः सरकार से अनुरोध है कि माननीय उच्चतम न्यायालय के 1982 के फैसले का सम्मान करते हुए पुरानी पेंशन योजना को लागू करे.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ के साथ 5 लोगों की बेंच द्वारा 1982 का फैसला स्पष्ट कहता है कि पुरानी पेंशन कर्मचारियों को दिया जाए.

उच्चतम न्यायालय के मुताबिक 1. पेंशन कर्मचारियों का मौलिक अधिकार है 2. पेंशन केवल पिछली सेवाओं के लिए एक पुरस्कार है

3. पेंशन किसी की भीख नहीं है 4. किसी सरकार के पास पेंशन रद्द करने का अधिकार नहीं है 5. पेंशन ही एक कल्याण है जो आर्थिक न्याय प्रदान करती है

6. पेंशन एक जीवित भत्ता है जो हर सेवानिवृत कर्मचारी को सम्मान के साथ जीने के लिए दिया जाता है

इन सभी बिंदुओं को याद दिलाते हुए राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद’ जनपद शाखा गोरखपुर के अध्यक्ष रूपेश श्रीवास्तव ने बताया कि पुरानी पेंशन बहाली तक संघर्ष जारी रहेगा क्योंकि उच्चतम न्यायालय के फैसले की अवहेलना हो रही है.

इस बैठक में PRKS रेलवे के महामंत्री विनोद राय, गोविंद जी, मदन मुरारी, बंटी श्रीवास्तव, राजेश सिंह, कनिष्क गुप्ता, त्रिपुरारी दूबे, महेन्द्र चौहान, डॉ. S K शर्मा आदि मौजूद रहे.

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